"दिल्ली में मोदी तो जयपुर में वसुंधरा, नहीं माने तो होगा शक्ति प्रदर्शन", समर्थकों का सीधा ऐलान, अब क्या करेंगे नड्डा- शाह
राजस्थान में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी- भाजपा दोनों के भीतर बगावत के सुर तेज है। कांग्रेस में राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के रूख लगातार सख्त बने हुए हैं वहीं अब फिर से भारतीय जनता पार्टी में कलह तेज हो गया है। वसुंधरा राजे समर्थकों ने सीधा ऐलान कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश में पार्टी का चेहरा हैं। उसी तरह से राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे राजस्थान में पार्टी का चेहरा हैं। जिसके बाद फिर से खींचातानी शुरू हो गई है।
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वहीं, पार्टी के शीर्ष आलाकमानों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से चेहरा घोषणा करने की मांग करना कहीं से भी जायज नहीं है। ये पार्टी तय करेगी, कोई नेता नहीं। आउटलुक से बातचीत में पार्टी के राज्य प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कहते हैं, "चुनाव में अभी लंबा वक्त है। वसुंधरा राजे पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं। मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि अभी से क्यों उनके समर्थकों द्वारा चेहरा घोषित करने की मांग की जा रही है। संभवत: इसमें कांग्रेस की चाल है। क्योंकि, पायलट गुट द्वारा बगावत के रवैये को ढकने के लिए हमारी पार्टी को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।"
दरअसल, लगातार वसुंधरा राजे समर्थकों और भाजपा के बीच कलह की स्थिति दिखाई दे रही है। ये आलम इस साल के जनवरी में पार्टी के शीर्ष आलाकमानों द्वारा राज्य में होने वाले उपचुनाव को लेकर बुलाई गई बैठक के बाद से हो चला है। उस बैठक में राजे को आमंत्रित नहीं किया गया था। बीते दिनों प्रदेश मुख्यालय के बाहर बदले गए पोस्टर से भी वसुंधरा राजे की तस्वीर को हटा दिया गया, जिसके बाद एक और कलह के संकेत दिखा दिए। हालांकि, पूनिया का कहना है कि ये कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। कहीं मेरी भी तस्वीर नहीं होती है। आउटलुक से वो कहते हैं, "यदि किसी को कोई दिक्कत है या राजनीतिक असंतुष्टता है तो वो सीधे पार्टी आलाकमानों तक अपनी बातों को रख सकते हैं। मीडिया-सोशल मीडिया के जरिए बातों को रखना उचित नहीं है। सभी के अपने-अपने चाहने वाले होते हैं।"
वसुंधरा राजे समर्थकों की मांग है कि पार्टी अभी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा करें। वहीं, आलाकमानों का कहना है कि इस बात का फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगी, कोई समर्थक नेता और व्यक्ति नहीं कर सकता है। वहीं, समर्थकों का कहना है कि वसुंधरा राजे ही भाजपा के लिए राजस्थान में एक मात्र विकल्प हैं। उनके अलावा पार्टी सोच भी नहीं सकती है। आउटलुक से बातचीत में राज्य के पूर्व मंत्री और वसुंधरा समर्थक भवानी सिंह राजावत कहते हैं कि पूरी बातों को आलाकमानों के सामने रख दिया गया है। यदि पार्टी नहीं मानती है तो शक्ति प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। वो कहते हैं, "जब से पार्टी ने राजे को नजरअंदाज करना शुरू किया है, हम कई मोर्चों पर कमजोर होते जा रहे हैं। उपचुनाव से लेकर नगर निकाय चुनाव तक- हमें बेहतर सफलता नहीं मिली है। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में हमने ये सारे चुनाव लड़े हैं और परिणाम सामने है। वसुंधरा के अलावा पार्टी के पास राज्य में कोई विकल्प नहीं है। राज्य में वसुंधरा हीं भाजपा है और भाजपा हीं वसुंधरा है। उन्हें समर्थकों की बातों को मानना हीं होगा।" वहीं, पूनिया कहते हैं, "पार्टी मजबूत है। हमारे पास कई चेहरे हैं। इस पर फैसला बोर्ड करेगी। हमे इंतजार और पार्टी के लिए काम करना चाहिए।"
लगातार वसुंधरा की बाजीगरी दिखाई दे रही है। दिल्ली में बैठे आलाकमानों का नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है। अब देखना होगा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कौन-सी चाल चलते हैं। हालांकि, उपचुनाव से पहले जेपी नड्डा ने जयपुर दौरे के दौरान मंच साझा करते हुए पूनिया और राजे के हाथ को एक साथ उठाकर "एकला मत चलो" का संदेश दिया था। लेकिन, कलह पाटने की बजाय बढ़ती हीं जा रही है।