उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती पर झांसी को एक बड़ी सौगात दी। योगी ने खेल दिवस के अवसर पर झांसी में मेजर ध्यान चंद संग्रहालय का उद्घाटन किया। झांसी के रानी लक्ष्मीबाई पार्क में बने मेजर ध्यानचंद संग्रहालय के शुभारंभ के साथ ही यहां खेलप्रेमी म्यूजियम देखने आने लगे हैं। हॉकी के खेल को समर्पित इस संग्रहालय में मेजर ध्यानचंद के जीवन से जुड़ी स्मृतियां और घटनाएं खेल प्रेमियों को डिजिटल माध्यम में देखने के लिए उपलब्ध हैं। योगी सरकार ने खेलों के प्रोत्साहन की पहल के तहत इस संग्रहालय की बुनियाद एक साल पहले रखी। सिर्फ एक साल के तय समय में भव्य संग्रहालय बनकर तैयार हो गया। खेलप्रेमी इस संग्रहालय में गर्व के पलों के साथ अचंभित करने वाले अनुभवों की अनुभूति कर पाएंगे। संग्रहालय अन्तर्गत 20 से ज्यादा जोन बनाये गये है। आइए आपको हर जोन से रूबरू कराते हैं।
जीवन पक्ष: संग्राहलय में मेजर ध्यान चंद की जिंदगी के हर पहलू की प्रदर्शनी है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से खेलप्रेमियों को मेजर ध्यानचंद के संपूर्ण व्यक्तित्व को समझने में आसानी होगी।
ओलंपिक स्वर्ण: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद्र ने ओलंपिक खेलों में भारत को जिन तीन अहम अवसर पर जीत दिलाकर स्वर्ण पदक के पायदान तक पहुंचाया उसे आधुनिक तकनीक के जरिए दिखाया गया है।
ऐहिताहिसक जीत: मेजर ध्यान चंद म्यूजियम में उन सभी टूर्नामेंट और ऐतिहासिक मैचों को संजोकर रखा गया है, जिनमें हॉकी के जादूगर ने करिश्माई प्रदर्शन किया था। इन सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैचों की विस्तार से जानकारी भी प्रदर्शित की गई है।
खेल में योगदान: म्यूजियम में भारतीय हॉकी और खेलों के प्रति मेजर ध्यान चंद के योगदान को एक लघु फिल्म के माध्यम से दिखाया गया है, जिसमें एक कोच के तौर मेजर ध्यानचंद की सक्रियता और प्रेरणादायी मार्गदर्शन को दर्शाया गया है। जिससे नई पीढ़ी हॉकी के खेल की सीख और समझ विकसित होती रहे।
हॉल ऑफ फेम: मेजर ध्यान चंद संग्रहालय की हॉल ऑफ फेम सबसे आकर्षक जगह में से एक है। यहां मेजर ध्यानचंद की होलोग्राम तस्वीर के साथ एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। संग्रहालय में आने वाले लोग दिलचस्प तरकीबों और तकनीकों की प्रदर्शनी से ड्रिब्लिंग तकनीक को भी देख सकते हैं।
फोटो गैलरी: मेजर ध्यान चंद संग्रहालय का ये कोना भी बेहद खास है। जहां मेजर ध्यान चंद की महत्वपूर्ण तस्वीरों को सजाया गया है। इसके साथ ही साथी खिलाड़ी, राजनेताओं, परिवार और दोस्तों के कई साक्षात्कारों का संग्रह भी यहां मिलेगा।
खेल में करियर: मेजर ध्यान चंद संग्रहालय में हॉकी के खेल से संबंधित करियर विकल्पों की जानकारी साझा करने की सुविधा भी है। जिससे युवाओं को हॉकी में उपलब्ध अवसरों के बारे में शिक्षित और प्रेरित किया जा सके।
सरकारी सहायता: म्यूजियम में लगाई गई प्रदर्शनी के उद्देश्य युवा खिलाड़ियों और महिला खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है। भारत सरकार की उपलब्ध कराई गई सभी योजनाओं की जानकारी यहां जुटाई जा सकती है।
खेल प्रशिक्षण: मेजर ध्यान चंद संग्रहालय में आकर भारत के ज्यादातर खेल संस्थानों से परिचित हुआ जा सकता है। जिससे कोई भी अपने पसंदीदा खेल में सही जगह प्रशिक्षण प्राप्त कर सके।
पुरालेख: संग्रहालय में मेजर ध्यानचंद की कहानी का पता लगाने के बाद विजिटर उनके नाम पर जारी समाचार पत्रों की क्लिप और डाक टिकटों को भी देख सकते हैं।
किड्स कॉर्नर: मेजर ध्यान चंद संग्रहालय का मकसद विशेष रूप से बच्चों के लिए एक यादगार अनुभव से रूबरू करवाना और उनका मज़ेदार तरीके से खेल से लगाव बढ़ाना है। जहां इंटरैक्टिव गेम्स के साथ फिजिटल यानी (फिजिकल + डिजिटल) माध्यम से खेल को समझाना है।
क्विज जोन: विजिटर मेजर ध्यान चंद संग्रहालय के इस हिस्से में प्रतियोगिता में हिस्सा ले पाएंगे। जहां डिस्प्ले स्क्रीन पर 10 बहुविकल्पीय प्रश्नों का एक सेट पेश किया जाएगा, जिसमें तीन सदस्यीय टीम हॉकी के लीजेंड मेजर ध्यानचंद पर 5 मिनट में रैपिड फायर क्विज कॉन्टेस्ट में भाग ले सकते हैं। इसमें विजेता का चयन सबसे तेज़ उंगली और स्क्रीन पर प्रदर्शित सही उत्तरों की संख्या के आधार पर किया जाता है।
फीडबैक: हॉकी के इस म्यूजियम की पूरी यात्रा के बाद विजिटर अपने अनुभव को साझा कर सकते हैं। जिससे संग्रहालय में सुधार की जो भी संभावनाएं हों उन्हें पूरा किया जा सके। मेहमानों को म्यूजियम में उनकी पसंद की भाषा में जानकारी मुहैय्या करवाने के लिए भी फीडबैक सिस्टम का इस्तेमाल होगा।
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को समर्पित संग्रहालय झांसी में इसलिए बना है क्योंकि झांसी ध्यानचंद की कर्मस्थली रही। झांसी में मेजर ध्यानचंद दद्दा के नाम से मशहूर हुए। झांसी से शुरू हुआ दद्दा यानी मेजर ध्यानचंद का सफर विश्वमानचित्र पर छाया। अब उनके नाम पर बने संग्रहालय से नई पीढ़ी प्रेरणा पाकर हिंदुस्तान की हॉकी के गौरवशाली पलों की वापसी के प्रयास में जुट सकती है।