इसमें न्यायालय की भूमिका अहम है। मुझे भारत की न्याय व्यवस्था पर नाज है, फख्र है। मुझे लगता है कि बजाय इसके कि कोई बोले कि हम मंदिर बनाएंगे, इस मुद्दे को न्यायालय के फैसले पर छोड़ देना चाहिए। आखिर लड़ाई किस बात की है? असल लड़ाई जमीन की है कि जमीन किसकी है। अदालत में इसी का झगड़ा है। यहां सवाल आस्था का नहीं है। मैं तहेदिल से कह रहा हूं कि मुसलमानों को कोई गलतफहमी नहीं है कि राम अयोध्या में पैदा नहीं हुए थे। हम भी राम को मानते हैं लेकिन मशहूर इतिहासकार बिश्बरनाथ पांडे ने अपनी किताब में कहा है कि भारत में राम का 400 साल पुराना कोई मंदिर नहीं है। जब देश में भगवान राम का 400 साल मंदिर नहीं है तो राम भक्तों को रामजन्म स्थान का पता कैसे लगा लिया? आखिर यह कैसे साबित हुआ कि यह ही रामजन्म भूमि है। अगर ये लोग राम को सच में प्यार करते हैं तो मासूमों के खून से सींचे हाथों से मंदिर की ईंटे न ढोएं। अगर सच में राम हैं तो उनपर क्या गुजरेगी? आखिरकार राम के नाम पर क्या कर रहे हैं ये लोग।
हिंदू समाज को राम मंदिर आंदोलन चलाने वालों से सवाल करना चाहिए कि राम मंदिर के नाम पर जो खरबों रुपये का चंदा इक्ट्ठा हुआ था उसका क्या हुआ? मेरे खयाल से हिंदू समाज बहुत भोला है, नेक है। आडवाणी की रथ यात्रा के वक्त हिंदू औरतों ने राम मंदिर बनवाने के लिए अपने गहनें तक उतार कर दे दिए थे। जनता को राम मंदिर आंदोलन चलाने वालों से सवाल करना चाहिए। मेरे ख्याल से तो इस आंदोलन को दोबारा इसलिए शुरू किया गया है क्योंकि पहले का चंदा सब खा-पी गए होंगे अब दोबारा पैसे की जरूरत होगी। राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है। मेरी गुजारिश है सबसे पहले हिंदू भाई 15-20 सालों के उन खरबों रुपये का हिसाब लें, जो राम मंदिर के नाम पर इक्ट्ठा किए गए हैं। अरे भई, अदालत के फैसले का इंतजार करें। हिंदू नेताओं को चाहिए कि उग्र लोगों को समझाएं कि इस मसले पर लड़ाई न करें। अन्यथा देश खतरे में पड़ जाएगा।
मुस्लिम समुदाय से मेरा कहना है कि किसी के भी कहने पर उकसावे में न आएं। यह देश धर्मनिरपेक्ष हिंदुओं का देश है। हमेशा रहेगा। कट्टरपंथियों और सांप्रदायिक लोगों का देश नहीं है। यहां की मासूम जनता नहीं जानती कि ऐसे लोग जनता के बहुत छोटे से प्रतिशत को वरगला लेते हैं। इसलिए कम से कम उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तक सतर्क रहें। मौजूदा सरकार हर कदम पर असफल रही है। राम मंदिर मुद्दा उसका आखिरी हथियार होगा। इसलिए किसी के भी बहकावे में नहीं आएं।
(लेखक पूर्व राज्यसभा सांसद हैं)