नई सहस्त्राब्दी में नई तकनीक भले ही ईजाद हुई हो लेकिन साहित्य, कला, संगीत जैसी विधाओं में नए प्रयोग न के बराबर हुए। न ही इनमें ऐसे उत्कृष्ट काम हुए जिन्हें कालजयी के संज्ञा दी जा सके। तमाम सकारात्मक तब्दीलियों के बावजूद समाज की मूलभूत समस्याएं मुंह बाये खड़ी रहीं