महाभारत की स्त्रियां हमेशा से ही जिज्ञासा का विषय रही हैं। हर स्त्री की अपनी कहानी और पृष्ठभूमि है। सबसे बड़े महाकाव्य की स्त्री पात्रों की कथाएं कई बार कलमबद्ध की गई हैं। इस बार कवियत्री सुमन केशरी ने कविता के माध्यम से इन स्त्री पात्रों को जीवंत करने का प्रयास किया है। उनका नया कविता संग्रह ‘निमित्त नहीं : महाभारत की स्त्रियों की गाथा’ ऐसी ही पुस्तक है, जिसमें उन स्त्रियों को फिर से नए सिरे से देखने की कोशिश की गई है।
पिछले दिनों पुस्तक के लोकार्पण में अध्यक्षीय उद्बोधन में मृदुला गर्ग ने कहा, “हर स्त्री की दृष्टि अलग है। सुमन केशरी की कविताएं इसका प्रमाण हैं। इन कविताओं में सुमन की हर स्त्री के प्रति 'एम्पेथी' का भाव है जो 'सिम्पेथी' के भाव से कोसों दूर है।” महाभारत की कथा अनजानी नहीं है। लेकिन इस महाकाव्य में स्त्रियों ने बहुत कुछ सहा, लेकिन बात पुरुष पात्रों की ही हुई। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए मृदुला गर्ग ने कहा, “जो कहा जाता है वह 'कहन' होता है और जो नहीं कहा जाता वह कहानी होती है। लेकिन सुमन की कविताओं में 'कहानी' होने के तत्व भी मौजूद हैं।”
कवयित्री अनामिका ने कहा, “सुमन केशरी का 'निमित्त नहीं!!' खण्ड काव्य हमारे साहित्य की रिक्त स्थानों की पूर्ति के रूप में हैं। 'निमित्त नहीं!!' मिथकों के नए भाष्य की आवश्यकता है। सुमन की कविताओं में उन चिंताओं को उठाया गया है जो आज की सभी मांओं की चिन्ता है।" अनामिका के वक्तव्य ने पुस्तक के शिल्प, रस और प्रस्तुत विमर्शों पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर वरिष्ठ कवि मदन कश्यप भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, “'निमित्त नहीं!!' बहुत जटिल बातों को सरल शब्दों में कहने का प्रयास है। महाकाव्यों की परंपरा से अलग ‘केन्द्रित काव्य श्रृंखला’ आज के साहित्य की जरूरत है। यह संग्रह ऐसा ही है। सुमन केशरी की कविताएं स्त्री विमर्श की सामूहिकता को सौंदर्य के रूप में दिखाती है।" उन्होंने कहा कि, जिस प्रकार 'सोलिलोकी' और 'ड्रामैटिक मोनोलॉग' में चिंतन की विषय-वस्तु परिवर्तित होती है, उसी प्रकार 'निम्मित नहीं!!' हमारी चेतना को नए आयाम देती है।
लेखकीय वक्तव्य में सुमन केशरी ने पुस्तक के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा, “न्याय और करुणा के खिलाफ निर्धारित ‘निम्मित’ में झोंकी गई स्त्रियों की ध्वनि है 'निमित्त नहीं!!'। स्त्री मातृत्व, सौंदर्य और भोग-विलास से इतर ईर्ष्या और दुख का प्रतिबिंब भी है। यह सत्य स्त्री के बारे में सामान्य जातीय अवधारणा में सम्मिलित नहीं पाया जाता है। मेरी कविताएं स्त्री-पक्ष के इस सत्य के साथ भी खड़ी है। मेरा पाठक मेरे कविता पाठ का सह-प्रसोता भी हैं।"
कार्यक्रम का संचालन वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने किया।
कार्यक्रम में पुरुषोत्तम अग्रवाल, ज्योतिष जोशी, श्योराज सिंह बेचैन, रजत रानी मीनू, रेणु हुसैन भी उपस्थित थे।