हिंदी और उर्दू के महानतम लेखकों में शुमार मुंशी प्रेमचंद को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया।
साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाले प्रेमचंद का लेखन हिंदी साहित्य की एक ऐसी विरासत है, जो हिंदी की विकास यात्रा को संपूर्णता प्रदान करती है। हिन्दी और उर्दू के महानतम लेखकों में शुमार मुंशी प्रेमचंद को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था।
प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाले प्रेमचंद का लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है, जो हिन्दी के विकास की यात्रा को संपूर्णता प्रदान करती है।
मुंशी प्रेमचंद द्वारा हिंदी साहित्य को आधुनिक रूप प्रदान किया गया है। उनके द्वारा लिखी गबन, गोदान, निर्मला, मानसरोवर, कफन आदि किताबें बहुत प्रसिद्ध है। हिंदी जैसे खूबसूत विषय पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा अपनी अमिट छाप छोड़ी गई है। परंतु, हिंदी लेखक के साथ ही वे नाटककार, साहित्यकार, उपन्यासकार प्रतिभा के भी धनी रहे।
हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार तथा उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था। उनकी मृत्यु 08 अक्टूबर 1936 को हुई। आज मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके अनमोल विचार। उनके ये विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत का जरिया है।