मुंबई के उपनगर जोगेश्वरी में कल मुबारक बेगम ने अंतिम सांस ली। उनके परिवार के एक सदस्य ने इस खबर की पुष्टि की। पिछले कई साल से वह बीमार थीं और उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी।
सन 1950 से 1970 के दशकों में हिंदी फिल्मों के कई गीतों और गजलों में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाली बेगम ने सन 1949 में रिलीज हुई एक फिल्म के साथ अपने करिअर की शुरूआत की थी। इस फिल्म में उन्होंने एकल गीत मोहे आने लगी अंगड़ाई आजा आजा और लता मंगेशकर के साथ आओ चलें सखी वहां गीत गाया था।
उन्होंने फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशकों, एसडी बर्मन, शंकर जयकिशन एवं खैयाम के साथ सुनील दत्त, नरगिस और राजेंद्र कुमार जैसे अभिनय जगत के दिग्गजों की फिल्मों में काम किया।
बेगम ने बिमल रॉय की देवदास में वो न आएंगे पलट कर गीत गाया जिसके संगीतकार बर्मन थे। रॉय ने मधुमती में भी बेगम की मधुर आवाज का उपयोग किया जिसमें उन्होंने हम हाल-ए-दिल सुनाएंगे गीत गाया जिसके संगीतकार सलील चौधरी थे।
तनुजा अभिनीत हमारी याद आएगी का शीर्षक गीत कभी तनहाइयों में हमारी याद आएगी बेगम के यादगार गीतों में से एक है। इसके अलावा आशा भोंसले के साथ गाया उनका गीत हमें दम दईके नींद उड़ जाए तेरी और मुझको अपने गले लगा लो उनके द्वारा गाए गए अन्य सदाबहार गीतों में शामिल है।
सन 1980 में रिलीज हुई कॉमेडी फिल्म रामू तो दीवाना है में उन्होंने सांवरिया तेरी याद में गीत गाया जो उनके करियर के अंतिम गीतों में से एक है। महाराष्ट्र सरकार ने गायिका के उपचार के लिए सन 2011 में एक लाख रुपये की आर्थिक मदद मंजूर की थी।
एजेंसी भाषा