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पंजाबी कवि डॉ. सुरजीत पातर के निधन पर पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने जताया दु:ख, बोले- अपने मार्मिक छंदों से असंख्य दिलों को छुआ

पंजाब के मशहूर कवि डॉ. सुरजीत पातर का शनिवार को निधन हो गया, वे 79 वर्ष के थे। प्रख्यात और प्रशंसित पंजाबी...
पंजाबी कवि डॉ. सुरजीत पातर के निधन पर पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने जताया दु:ख, बोले- अपने मार्मिक छंदों से असंख्य दिलों को छुआ

पंजाब के मशहूर कवि डॉ. सुरजीत पातर का शनिवार को निधन हो गया, वे 79 वर्ष के थे। प्रख्यात और प्रशंसित पंजाबी कवि डॉ. पातर के निधन से पंजाबी साहित्य की दुनिया में एक गहरा शून्य पैदा हो गया है। उनके निधन की खबर मिलने के बाद देशभर के साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। इसके अलावा राजनीतिक दलों के तमाम नेताओं ने भी मशहूर कवि के निधन पर गहरा दुख जताया है। इस बीच पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने डॉ. सुरजीत पातर के निधन पर संवेदनाएं प्रकट करते हुए कहा कि साहित्य अकादमी पुरस्कार और सरस्वती सम्मान सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित सौम्य और मृदुभाषी पंजाबी साहित्यकार पद्मश्री डॉ. पातर ने अपने मार्मिक छंदों से असंख्य दिलों को छुआ।

डॉ. पातर ने अपने लेखन में, अस्तित्व की कठोर वास्तविकताओं के साथ-साथ उन सूक्ष्म मानवीय भावनाओं को भी दर्शाया है जो हमारे जीवन को अर्थ देते हैं। उनकी कविता "हनेरा जारेगा किवेन" और कई अन्य रचनाएँ उच्च उद्देश्य के जीवन की खोज में उनकी गहन व्यक्तिगत और राजनीतिक संवेदनशीलता की पुष्टि करती हैं।

डॉ. पातर ने अपनी रचनाओं में हमारी गहरी आकांक्षाओं को जीवित रखा, यह सुनिश्चित किया कि निजी और सामाजिक वास्तविकताओं को हमारे हृदय की भाषा से बाहर नहीं रखा जाए। उनके बारे में कहा जा सकता है कि कवि और उनकी कविता एक-दूसरे में प्रकट होते थे।

ऐसे समय में जब सार्वजनिक और व्यक्तिगत संवेदनाएं खराब हो गई हैं, समाज की अंतरात्मा के रक्षक के रूप में एक सौम्य आवाज का नुकसान अपूरणीय है। पंजाब के प्रतिष्ठित बेटे ने हमारी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है और देश को गौरवान्वित किया है।

अलविदा, पातर साहब...आश्वस्त रहें कि आपके शब्द और आवाज अच्छाई और बड़प्पन की खोज में बिताए गए सार्थक जीवन का स्थायी प्रमाण बने रहेंगे।

बता दें कि डॉ. सुरजीत पातर को 2012 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने साहित्य क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्हें 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। डॉ. पातर ने कई मशहूर कविताओं हनेरे विच, हवा विच लिखे हर्फ, शब्दों का मंदिर, लफ्जां दी दरगाह, पतझड़ दी पाजेब की रचना की।

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