Advertisement

साथ रहो सिर्फ तुम

विमलेश त्रिपाठी की कविताएं
साथ रहो सिर्फ तुम

फूल की एक पंखुड़ी से बना सकता हूं गुलदस्ता

आकाश में एक तारा

काफी है पूरी रात अंजोर के लिए

एक बीज से पूरे खेत में

उग सकते हैं असंख्य गेहूं के पौधे

एक अक्षर भर से

लिख सकता हूं महाकाव्य

उम्र का एक कतरा

जिंदा रह सकता है असंख्य नक्षत्र वर्षों तक

कोई ईश्वर नहीं

साथ रहो सिर्फ तुम आंगन की ताख पर

मिट्टी के पुराने दिये की तरह

और मेरी कविताएं जिंदा

बस...।

2 चुप हो जाओगे एक दिन जब

चुप हो जाओगे एक दिन

जब बोलते-बोलते तुम

तब यह पृथ्वी अपने चाक पर रूक जाएगी

हवा में जरूरी ऑक्सिजन लुप्त

और दुनिया से हरियाली अलोपित हो जाएगी

फूलों का खिलना बंद होगा

चिडियों के गीत जज्ब हो जाएंगे

समय के पंजे में

एक बहुत पुराना गीत होंठो पर आकर बार-बार फिसल जाएगा

और सदियों से लिखी जा रही

एक जरूरी कविता अधूरी छूट जाएगी ।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad