सालों से भारत में रह रहे रस्किन यहां की जीवन शैली ही नहीं संस्कृति और आबोहवा में रच-बस गए हैं। यही वजह है कि उनकी रचनाओं में अलग आस्वाद मिलता है। उनकी कहानियों की अनूदित पुस्तक पैन्थर्स मून में यह देखने को मिलता है। इस संग्रह में कुल जमा 12 कहानियां हैं। इनमें हम इंसान और जानवर या कहना चाहिए, इंसान और जंगली जीवन के अंर्तसंबंध देख सकते हैं। यह संबंध कहीं अचरजकारी रूप से आत्मीय लगता है तो कहीं एक-दूसरे का विरोधी।
रस्किन के कहानी लेखन की बड़ी विशेषता यह भी है कि वह काल्पनिक में वास्तविकता का आभास बनाए रखते हैं। इससे पाठक पूरी तरह रचना उससे जुड़ जाते हैं। संग्रह की पहली ही कहानी पैन्थर्स मून में ऐसे खूंखार तेंदुए की रोमांचक कथा है जिसने पास के कई गांव में अपना आतंक मचा रखा है। हालांकि अंत में वह तेंदुआ मार दिया जाता है लेकिन लेखक ने यह भी बताया है कि वह तेंदुआ आदमखोर बनता कैसे है? शिकारियों का लालच और विकास का आतंक न केवल प्रक्रति को उजाड़ता है बल्कि जानवरों को भी अप्राकृतिक बनने को मजबूर करता है।
बंदरों का आतंक कहानी भी दिलचस्प है। इसमें बंदरों की शैतान टोली के कारनामे को बताया गया है, जो अपने बागीचे और डहेलिये के फूलों से प्रेम करने वाली एक महिला के जान के दुश्मन बन जाते हैं। दादा जी का बाघ कहानी रोचक होने के साथ इंसान और जानवर के संबंध को खूबसूरती से सामने रखती है। जंगल में मिले बाघ के बच्चे को अपने साथ प्यार से पालने का नतीजा यह होता है कि वह पूरी तरह पालतू बन जाता है। इस कहानी का अप्रत्याशित अंत चौंकाता है।
पुस्तक- पैंथर्स मून. लेखक- रस्किन बांड
अनुवाद- ऋषि माथुर
मूल्य – 195 रुपये
प्रकाशक - राजपाल एंड संस, दिल्ली