इटली की पदुआ युनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने 1920 से 1956 के बीच पैदा नौ यूरोपीय देशों के 6000 पुरूषों का अध्ययन किया। उन्होंने अपना अध्ययन इस बात पर केंद्रीत किया कि क्या उस शख्स ने 10 साल की उम्र ऐसे मकान में बिताई जहां 10 से कम किताबें थीं या 100 किताबों वाला एक किताबदान था, या दो किताबदान थे या दो से ज्यादा किताबदान थे। द गार्जियन के अनुसार अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि शिक्षा का एक अतिरिक्त वर्ष औसत आजीवन आमदनी में नौ प्रतिशत का इजाफा करता है। सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के अनुरूप इस आय में खासा उतार-चढ़ाव होता है।
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि अगर कोई पुरूष एक किताबदान से कम वाले घर में पलता है तो एक साल की अतिरिक्त शिक्षा से वह पांच प्रतिशत ज्यादा आय अर्जित करता है, जबकि ढेर सारी किताबों के बीच पला-बढ़ा शख्स 21 फीसद ज्यादा कमाई करता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा किताबों के बीच रहने वाले लोगों के पास उन लोगों के मुकाबले शहरों में ज्यादा अच्छी कमाई के अवसर होते हैं जिन्हें किताबों का साथ नहीं मिलता। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि किसी मकान में किताबों की तादाद देख कर प्रभावी रूप से वहां रह रहे किसी बच्चे की बौद्धिक स्थिति से जुड़े परिक्षण के अंक की भविष्यवाणी की जा सकती है जो जीवन में आर्थिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। इस अध्ययन के निष्कर्ष इकोनॉमिक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।