बर्लिन। तमाम विवादों के बीच भारतीय मूल के बैंकर अंशु जैन ने करीब 20 साल बाद जर्मनी के सबसे बड़े डोएच्च बैंक से नाता तोड़ लिया है। वह बैंक के सह-मुख्य कार्यकारी थे। जैन के साथ उनके सहयोगी सीईओ जार्जेन फिशेन ने भी पद छोड़ दिया है। इन दोनों के कमान संभालने के बाद डोएच्च बैंक का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। इसके अलावा कई विवादों ने भी इनका पीछा नहीं छोड़ा। इस पद के लिए जैन का अनुबंध 2017 तक था, लेकिन उन्हें दो साल पहले ही इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह बैंक ने यूबीएस के पूर्व अधिकारी जाॅन कायन को सह-मुख्य कार्यकारी नियुक्त किया है।
डोएच्च बैंक को जर्मनी का सबसे बड़ा और विश्व के प्रमुख बैंक के तौर पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले अंशु जैन ने तमाम विवादों और घपले के आरोपों के बीच इस्तीफा दिया है। दो आला अधिकारियों के इस्तीफे के बाद बैंक की चुनौतियां और ज्यादा बढ़ गई हैं। इस समय डोएच्च बैंक भारी जुर्मानों, बढ़ते खर्च, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच जैसी मुश्किलों से जूझ रहा है। यूरोप संकट के वक्त जब बार्कलेज और यूबीएस जैसे बैंकों हजारों कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी तब अंशु जैन ने डटकर चुनौतियों का सामना किया था। लेकिन जयपुर में जन्मे और दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्नातक 52 वर्षीय अंशु जैन ने आखिरकार बैंक का दामन छोड़ दिया। उनके इस फैसले से पूरा अर्थ जगत हैरान है और डोएच्च बैंक की भावी रणनीति को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
एक जून 2012 को डोएच्च बैंक का सह-मुख्य कार्यकारी नियुक्त होने के बाद से ही अंग्रेजी भाषी अंशु जैन कई चुनौतियों से घिरे रहे। इस साल बैंक की सालाना सभा में जर्मन के बजाय अंग्रेजी में संबोधन को लेकर उनकी जर्मन प्रेस में काफी किरकिरी हुई थी। इसी बैठक में जैन अपने प्रदर्शन की वज से बैंक के शेयरधारकों के निशाने पर रहे थे। सह-मुख्य कार्यकारी के तौर पर जैन और फिशेन की नियुक्ति के बाद डोएच्च बैंक का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। उल्लेखनीय है कि किसी वैश्विक बैंक से इस तरह इस्तीफा देने वाले जैन दूसरे भारतीय हैं। इससे पहले विकम पंडित ने 2012 में सिटीग्रुप के सीईओ पद से इस्तीफा दिया था।
बताया जाता है कि इस्तीफे का ऐलान करने से पहले ही अंशु जैन ने अपने साथियों से कहा था कि वह बैंक के विकास की राह में बाधक नहीं बनना चाहते। और जरूरी हुआ तो वह पद छोड़ सकते हैं। बैंक के सुपरवाइजरी बोर्ड ने उन्हें परामर्शक के रूप में जुड़े रहने को कहा है। वह 30 जून को अपने पद पर बने रहेंगे। जैन ने अपने बयान में कहा है कि ड्यूश बैंक में काम करते हुए उन्हें 20 साल हो गए थे। यह एक असाधारण दौर रहा। बीते तीन साल से उन्हें इस महान संस्थान को जार्जेन के साथ मिलकर चलाने का सौभाग्य व सम्मान मिला।
(एजेंसी इनपुट)