आज मोदी सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गांव, किसान और आम आदमी पर खूब जोर दिया। कई लुभावनी घोषणाएं की। उज्जवला जैसी कामयाब योजनाओं को आगे बढ़ाने और स्वास्थ्य और आवास के क्षेत्र में कई लुभावनी घोषणाएं भी की ठोस उपाय नजर नहीं आएं।
वित्त मंत्री के कई दावे ऐसे भी हैं जिनकी पूरी जानकारी सामने आनी बाकी है। किसानों को उपज का उचित दाम दिलाने का वादा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फसल लागत पर डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा की है। लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह डेढ़ गुना दाम जिस लागत पर दिए जाएगा उसमें जमीन का किराया और फिक्स्ड कैपिटल कॉस्ट शामिल होगी अथवा नहीं। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि अधिकांश अधिसूचित रबी फसलों में तय सिद्धांत के आधार लागत पर डेढ़ गुना दाम दिया जा चुका है। जबकि आगामी खरीफ सीजन में अधिकांश फसलों में लागत पर डेढ़ गुना एमएसपी दिया जाएगा। देखना होगा कि इस घोषणा को पूरा करने के लिए सरकार क्या फार्मूला अपनाती है। पिछले एक साल के दौरान देश के कई इलाकों में किसानों के आंदोलन को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण ऐलान है।
वित्त मंत्री ने माना है कि कई बार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाता। जिसकी भरपाई करने की कोशिश भी सरकार करेगी। बजट भाषण में उन्होंने संकेत दिया कि भाव के अंतर की भरपाई के लिए सरकार मध्य प्रदेश की तर्ज पर भावांतर जैसी योजना शुरू कर सकती है। इसके लिए नीति आयोग से सलाह ली जाएगी।
किसान और कृषि क्षेत्र से जुड़ी कई पुरानी योजनाओं को ही आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। 96 जिलों को कवर करने वाली प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 2600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना में हुई अब तक की प्रगति पर कई सवाल उठ रहे हैं। इसी तरह ऑपरेशन ग्रीन के नाम से शुरू हुए एक नए मिशन के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो एग्रीकल्चर सेक्टर में निवेश की जरूरत को देखते हुए कम है। हालांकि, वर्ष 2018-19 में कुल 11 लाख करोड़ रुपये के कृषि कर्ज आवंटन का लक्ष्य रखा गया है।
खेती के साथ-साथ मछलीपालन और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के फिशरिज एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और एनीमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का ऐलान किया गया है। इसी तरह मंडियों के विकास के लिए 2000 करोड़ रुपये से एग्री-मार्केट डेवलपमेंट फंड बनाने का ऐलान किया गया है।
प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार पुआई जलाने के बजाय इसके निस्तारण के लिए किसानों को मदद देगी। यह मदद कितनी होगी इसका खुलासा भी वित्त मंत्री ने बजट भाषण में नहीं किया।