केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पूर्व चर्चाओं की शुरूआत डिजिटल इकोनॉमी, फिनटेक और स्टार्टअप्स के प्रतिनिधियों से वार्ता के साथ की है। सरकार छह साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी पर गिरी आर्थिक विकास दर में तेजी लाने की कुंजी अर्थव्यवस्था के इन नए क्षेत्रों में तलाश रही है।
प्रतिनिधियों के साथ इन मुद्दों पर हुई चर्चा
अगले वित्त वर्ष 2020-21 के आम बजट से पहले आज हुई पहली चर्चा में बिग डाटा टेक्नोलॉजी जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। बिग डाटा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लघु एवं मझोले उद्योग, पब्लिक गवर्नेंस के लिए किया जा सकता है। बैठक में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, सरकार की भूमिका, डिजिटल इकोनॉमी के रेगुलेशन, प्राइवेसी, वित्तीय रेगुलेशन, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्टार्टअप्स के लिए अनुकूल माहौल, डिजिटल इंडिया के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी और कराधान संबंध मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया गया।
सरकार को ये सुझाव मिले
डिजिटल इकोनॉमी, फिनटेक और स्टार्टअप्स के प्रतिनिधियों ने बिग डाटा, डाटा सेंटर स्थापित के लिए प्रोत्साहित करने को रियायतों, डाटा लोकलाइजेशन के लिए िवत्तीय रियायतों, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता, स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय गारंटी, कर रियायतों, न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर को तर्कसंगत बनाने जैसे मुद्दों पर अपने सुझाव दिए। इसके अलावा सीमा पार वित्तीय अपराधों के लिए अलग एजेंसी बनाने, महिलाओं के लिए रोजगार बढ़ाने, युवाओं को ट्रेनिंग देने, रिसर्च एंड डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करने पर भी विचार िवमर्श किया गया।
जीएसटी संग्रह कम रहने से राज्यों को भुगतान नहींः वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने एक अन्य कार्यक्रम में माना कि राज्यों को राजस्व को भरपाई करने के लिए मुआवजे का भुगतान नहीं किया जा सका है क्योंकि जीएसटी राजस्व संग्रह कम रहा। लेकिन सरकार राज्यों के लिए इस प्रतिबद्धता को पूरा करेगी। उन्हें देय भुगतान किया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी की संभावना सुधर गई हैं। राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए कई राज्यों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। उनके प्रयास स्वागत योग्य हैं। केंद्र सरकार भी राजस्व वृद्धि के लिए काम कर रही है।