ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का कारोबार 2019-20 की पहली छमाही में 10 फीसदी से ज्यादा गिर गया। इस कारण करीब एक लाख अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इंडस्ट्री बॉडी ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एक्मा) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इससे पहले 2013-14 में कंपोनेंट इंडस्ट्री में गिरावट आई थी। तब इसका टर्नओवर दो फीसदी घटा था।
निर्यात में 2.7 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी
एक्मा के मुताबिक अप्रैल-सितंबर 2018 में इंडस्ट्री का टर्नओवर 1.99 लाख करोड़ रुपये था। इस साल इन छह महीने में यह घटकर 1.79 लाख करोड़ रुपये रह गया। इसमें 10.1 फीसदी गिरावट आई है। हालांकि निर्यात में 2.7 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई है। पहली छमाही में 51,397 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। गाड़ियों की मरम्मत के लिए जो पार्ट्स खरीदे जाते हैं, उसका मार्केट चार फीसदी बढ़कर 35,096 करोड़ रुपये का हो गया। कंपोनेंट आयात में 6.7 फीसदी की गिरावट आई। इस दौरान 57,574 करोड़ रुपये का आयात हुआ।
वाहनों की बिक्री घटने से कंपोनेंट इंडस्ट्री प्रभावित
एक्मा प्रेसिडेंट दीपक जैन ने बताया कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री लंबे समय से सुस्ती झेल रही है। एक साल से सभी तरह के वाहनों की बिक्री में गिरावट है। कंपोनेंट इंडस्ट्री वाहनों की बिक्री पर आश्रित है। इसलिए वाहनों का उत्पादन 15-20 फीसदी घटने से कंपोनेंट इंडस्ट्री भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
कंपनियां क्षमता का 50% ही इस्तेमाल कर रही हैं
जैन ने बताया कि कंपोनेंट इंडस्ट्री में अक्टूबर 2018 से छंटनी चल रही है। मांग कम होने के कारण कंपनियों को अस्थायी कर्मचारियों को हटाना पड़ रहा है। जब इंडस्ट्री ऊंचाई पर थी तब कंपनियां अपनी क्षमता का 80 फीसदी इस्तेमाल करती थीं। यह अब घटकर 50 फीसदी पर आ गया है। इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए उन्होंने कंपोनेंट पर जीएसटी 18 फीसदी करने की मांग की। अभी 60 फीसदी कंपोनेंट पर 18 फीसदी और 40 फीसदी कंपोनेंट पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। कंपोनेंट इंडस्ट्री का 70 फीसदी हिस्सा एमएसएमई का है।
बीएस-6 अपग्रेडेशन पर 30-35 हजार करोड़ रुपये खर्च
भारत में अप्रैल 2020 से सिर्फ बीएस-6 मानक वाले वाहन बिकेंगे। इसके लिए इंडस्ट्री को अपग्रेड करना पड़ा है। जैन के अनुसार अपग्रेड करने पर पूरी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने 80 से 90 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसमें 30-35 हजार करोड़ का निवेश कंपोनेंट सेक्टर ने किया है।