देश की अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एएम नाइक द्वारा चिंता जताए जाने के बाद कुछ ऐसे ही विचार एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने जाहिर किए हैं। पारेख ने कहा कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुस्ती साफतौर पर नजर आ रही है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि त्योहारों का मौसम नजदीक आते-आते हालात सामान्य होंगे। बता दें कि दिग्गज एलऐंडटी कंपनी के चेयरमैन एएम नाइक से पहले उद्योगपति राहुल बजाज ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की थी।
ग्रोथ के लिए कर्जदाताओं में दोबारा से विश्वास पैदा किया जाए
दीपक पारेख ने कहा, ‘मेरे हिसाब से जरूरी यह है कि अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के लिए कर्जदाताओं में दोबारा से विश्वास पैदा किया जाए’। पारेख के मुताबिक, फिलहाल बड़ी चुनौती कर्जादाताओं द्वारा रिस्क लेने से झिझकना है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने कर्ज देने को लेकर अड़ियल रुख अपना रखा है।
कर्ज देने से झिझक रही हैं नॉन बैंकिंग और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां
एचडीएफसी के एनुअल जनरल मीटिंग में पारेख ने कहा कि नकदी संकट की वजह से बहुत सारी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां कर्ज देने से झिझक रही हैं। इसका कई सेक्टरों पर बुरा असर पड़ा है। पारेख ने उम्मीद जताई कि त्योहारों का मौसम नजदीक आते-आते हालात सामान्य होंगे। उन्होंने माना कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती साफतौर पर नजर आती है, जो वित्त वर्ष 2019 में 6.8 प्रतिशत के जीडीपी ग्रोथ आंकडों से भी जाहिर होता है। हालांकि, आर्थिक रफ्तार में यह सुस्ती अस्थाई है।
बता दें कि पारेख और नाइक के विचार इसलिए भी प्रासंगिक हो जाते हैं क्योंकि जीडीपी ग्रोथ मार्च की तिमाही में घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई। वहीं, आठ कोर इंडस्ट्रीज की ग्रोथ 50 महीने के न्यूनतम स्तर पर गिरते हुए जून में 0.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। मई में यह आंकड़ा 4.3 प्रतिशत का था।
जानें क्या बोले थे एलऐंडटी कंपनी के चेयरमैन
गुरुवार को भारतीय इंडस्ट्री के दिग्गज एलऐंडटी कंपनी के चेयरमैन एएम नाइक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि अगर हम जीडीपी 6.5 फीसदी भी हासिल कर लेते हैं, तो हम ‘भाग्यशाली’ होंगे। उन्होंने समाधान के तौर पर सिफारिश की कि प्रोजेक्ट को जल्द से पास करना चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे, नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप करते थे।
पद्म भूषण से सम्मानित उद्योगपति ने यह भी कहा कि आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर “स्थिति चुनौतीपूर्ण” है। नाइक ने कहा, “इस साल वृद्धि दर 6.5 फीसदी से अधिक नहीं होने वाली है। हालांकि, सरकार का दावा 7 फीसदी का है, लेकिन मेरा मानना है कि अगर हम 6.5 फीसदी की दर भी हासिल कर लेते हैं, तो हम भाग्यशाली होंगे।” उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था पांच साल के निचले स्तर पर फिसल कर 5.8 फीसदी हो गई है, ऐसे में कई अर्थशास्त्री आधिकारिक आंकड़ों के आकलन के तौर-तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं।