कार्यभार संभालने के बाद मीडिया संवाददाताओं से हुई बातचीत में चंद्रशेखरन ने कहा, हम मिलकर अपने कारोबार के सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए काम करेंगे, हम सबसे आगे होंगे और किसी का अनुसरण नहीं करेंगे।
नमक से लेकर साफ्टवेयर क्षेत्र में कार्यरत 103 अरब डॉलर के टाटा समूह के चेयरमैन का कार्यभार संभालने वाले चंद्रशेखर ने कहा कि यह जिम्मेदारी संभालना मेरे लिए सौभाग्य और सम्मान की बात है ... मैं अपनी इस नई भूमिका में आने वाले वर्षों में समूह की सेवा के लिए तैयार हूं, इसके लिए मैं सभी का समर्थन चाहता हूं ताकि हम सभी मिलकर काम कर सकें।
चंद्रशेखरन तीन दशक से टीसीएस से जुड़े हैं। इस दौरान उन्होंने टीसीएस को देश की सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी बनाने में काफी योगदान किया। उनके नेतृत्व में टीसीएस समूह की सबसे बेशकीमती कंपनी बन गई।
53 वर्षीय चंद्रशेखरन ने इससे पहले सोमवार को टीसीएस के निदेशक मंडल की अध्यक्षता की जिसमें उन्होंने किसी कंपनी द्वारा अपने शेयरों की 16,000 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी पुनर्खरीद योजना की घोषणा की।
गौरतलब है कि चंद्रशेखरन समूह के ऐसे पहले चेयरमैन हैं जो टाटा-परिवार से नहीं जुड़े हैं। उन्होंने ऐसे समय में टाटा संस के चेयरमैन का कार्यभार संभाला है जब समूह में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से अचानक हटाए जाने के बाद वाद-विवाद का दौर चल रहा है।
मिस्त्री ने समूह की कार्यप्रणाली और रतन टाटा के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाए हैं। हालांकि, टाटा ने सभी आरोपों को खारिज किया है। रतन टाटा के अंतरिम चेयरमैन रहते साइरस मिस्त्री को समूह की विभिन्न कंपनियों के निदेशक मंडल से और अंत में समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटा दिया गया।
उद्योग जगत के पारखी लोगों के मुताबिक, टाटा समूह का काफी कुछ दारोमदार टीसीएस और ब्रिटेन की अधिग्रहित वाहन निर्माता कंपनी जेएलआर पर निर्भर है।
समूह की अन्य कंपनियां जैसे कि टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और होटल श्रंखला का कारोबार संबंधित क्षेत्रों में उस स्तर पर नहीं हैं। भाषा