एडलवेइस एग्री रिसर्च के एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है। इसके अनुसार, चालू वर्ष में कपास उत्पादन 335 लाख गांठ रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के 376.6 लाख गांठों के उत्पादन से 11 फीसदी की कमी को दर्शाता है। कम उत्पादन का मुख्य कारण उत्तर भारत में व्हाईट फ्लाई संक्रमण के कारण उपज में भारी गिरावट का आना और खेती के कम रकबे का होना है।
अध्ययन में कहा गया है कि पिछले सीजन खराब रहने की वजह से इस साल कपास खेती के रकबे में 7.5 फीसदी की गिरावट आई है और यह कमी सभी राज्यों में देखने काे मिली है। इस साल कपास की कुल पैदावार में 3.8 फीसदी की कमी आने का अनुमान है जिसका मुख्य कारण उत्तर भारत में उपज में अाई भारी गिरावट है। उत्तर भारत के राज्यों में कपास की पैदावार लगभग 35 फीसदी तक घटने का अनुमान है।
आशंका है कि उपज में और ज्यादा कमी आ सकती है क्योंकि संक्रमण काफी अधिक होने के कारण कई खेतों में कटाई भी नहीं की जा सकी, कई किसान एक बार तुड़ाई का विकल्प अपना सकते हैं क्योंकि तुड़ाई की लागत अधिक है और दूसरी तुड़ाई में उपज इतनी भी नहीं होगी कि श्रमिकों की मजदूरी भी दी जा सके।
हालांकि मध्य भारत यानी गुजरात, महाराष्ट और मध्य प्रदेश में वर्ष दर वर्ष आधार पर उपज अधिक रहने की उम्मीद है। लेकिन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पैदावार 1.5 फीसदी घट सकती है। कर्नाटक में कपास का रकबा इस बार करीब 24 फीसदी घटा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल कपास के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चले गए थे और सरकार को 87 लाख गांठ की खरीद खुद करनी पड़ी थी।