एसोचैम के इस अध्ययन के मुताबिक भारत में यह रुझान अमेरिका, ब्रिटेन और दूसरे देशों में 200 से अधिक शापिंग माॅल में पहुंचने वाले ग्राहकों की संख्या में आती गिरावट के अनुरूप है। अमेरिका में शापिंग माल में 46 प्रतिशत तक स्थान खाली पड़े हैं जबकि ब्रिटेन में 32 प्रतिशत मॉल खाली हैं। जबकि भारत में कंप्यूटर के जरिये आॅनलाइन खरीदारी पर सुस्ती का कहीं कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता है। आॅनलाइन खरीदारी यानी ई-कामर्स उद्योग के अगले पांच साल के दौरान 35 प्रतिशत की साल दर साल वृद्धि के साथ 100 अरब डालर तक पहुंच जाने का अनुमान है।
एसोचैम और प्राइसवाटर हाउसकूपर्स यानी पीडब्लयूसी के इस अध्ययन के मुताबिक, इस समय भारत का ई-कामर्स उद्योग करीब 17 अरब डालर का है। ई-कामर्स उद्योग में अगले साल भी मजबूती बनी रहने की उम्मीद है। इस दौरान व्यक्तिगत आॅनलाइन खरीदारी मौजूदा 65 प्रतिशत की वृद्धि से बढ़कर 2016 में 72 प्रतिशत औसत सालाना वृद्धि तक पहुंच सकती है। आॅनलाइन खरीदारी में ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, किताबें, संगीत, कपड़े, खेलकूद का सामान और यात्रा संबंधी बुकिंग शामिल है।
एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत ने अध्ययन जारी करते हुए कहा कि यह सही है कि आॅनलाइन शाॅपिंग में अच्छी वृद्धि दर्ज की जा रही है जबकि माॅल में सुस्ती दिखाई दे रही है। इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही ई-कामर्स कारोबार में वृद्धि हो रही है।