वर्ष 2014-15 की समीक्षा में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में दहाई अंक की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिये कारोबारी माहौल सुधारने और कर दरों को नरम रखने की जरूरत है।
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट से एक दिन पहले पेश इस समीक्षा में कहा गया है, भारत आज ऐसे बेहतर मुकाम पर पहुंच चुका है जहां से बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा मौका है। वित्त मंत्री शनिवार को वर्ष 2015-16 का आम बजट पेश करेंगे। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का यह पहला पूर्ण बजट होगा।
सर्वेक्षण की मुख्य बातें
- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2015-16 में 8.1-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
- वृद्धि दर दहाई अंक के मार्ग पर, आने वाले दिनों में 8-10 प्रतिशत वृद्धि संभव
- अप्रैल-दिसंबर 2014 के दौरान मुद्रास्फीति में गिरावट का रुझान
- चालू खाते का घाटा 2015-16 के दौरान घटकर करीब एक प्रतिशत पर आ जाएगा
- राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 4.1 प्रतिशत रखने का लक्ष्य कायम, आगे इसे जीडीपी के 3 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य
- राजकोषीय पुनर्गठन के लिए प्रतिबद्धता, राजस्व बढ़ाने के प्रयास पर जोर
- आगे नये सुधार की तैयारी, जीएसटी, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से बाजी मारी जा सकती है
- खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 में 25.70 टन रहने का अनुमान, पिछले पांच साल के औसत में 85 लाख टन अधिक हो जाएगा
- नीति आयोग, 14वां वित्त आयोग राजकोषीय संघवाद को बढ़ाएगा
- मेक इन इंडिया और स्किलिंग इंडिया के बीच संतुलन बनाने की जरूरत
- निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी माडल को जीवंत बनाने की जरूरत
- विनिर्माण और सेवा क्षेत्र आर्थिक-वृद्धि के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण