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अब 6 महीने तक डिफॉल्ट पर लोन नहीं होगा एनपीए, रियल्टी सेक्टर को भी आरबीआई से राहत

कोविड-19 के संकट को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन लेने वाले ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। इसके तहत...
अब 6 महीने तक डिफॉल्ट पर लोन नहीं होगा एनपीए, रियल्टी सेक्टर को भी आरबीआई से राहत

कोविड-19 के संकट को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन लेने वाले ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। इसके तहत अब मोरेटोरियम की अवधि को एनपीए में नहीं माना जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि अगर कोई ग्राहक मोरेटोरियम के बाद तीन महीने तक लोन नहीं चुकाता है तो उसका लोन एनपीए नहीं होगा।इससे मोरेटोरियम अवधि के साथ उसे छह महीने की राहत मिल जाएगी। इस कदम  से ग्राहकों के साथ-साथ बैंकों को भी राहत मिल जाएगी। क्योंकि उन पर प्रोविजनिंग का बोझ नहीं पड़ेगा। हालांकि यह सुविधा केवल उन्हीं ग्राहकों को मिलेगी, जिन्होंने मोरटोरियम का लाभ लिया है। इसके अलावा शुक्रवार को आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट भी 0.25 फीसदी घटा दिया है। साथ ही नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक को भी 50 हजार करोड़ रुपये की रिफाइनेंसिंग सुविधा आरबीआई ने देने का ऐलान किया है।

रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी घटा

रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के कारण आर्थिक गतिविधियों में आ रही गिरावट को थामने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। आरबीआइ ने रिवर्स रेपो रेट 4 फीसदी से घटाकर 3.75 फीसदी कर दिया है। इससे बैंकों को कर्ज न उठने के कारण सरप्लस लिक्विडिटी खपाने और इस पर बेहतर आमदनी पाने का मौका मिलेगा। हालांकि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह 4.4 फ़ीसदी पर बरकरार है।

वित्तीय संस्थानों और रियल्टी सेक्टर के लिए कदम

आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इससे बैंकों को फायदा मिलेगा। आरबीआइ ने नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी जैसे वित्तीय संस्थानों को 50,000 करोड़ रुपये की रिफाइनेंसिंग सुविधा दी है। एनबीएफसी रियल एस्टेट कंपनियों को कर्ज देती है तो उन्हें वही फायदे मिलेंगे जो बैंकों को मिलते हैं। इसके तहत एनबीएफसी ऐसे रियल्टी लोन की अवधि एक साल बढ़ा सकेंगी, जिनके हाउसिंग प्रोजेक्ट कोविड संकट की वजह से अटक गए हैं।

बैंकों को डिविडेंड नहीं देना होगा

आरबीआइ ने कहा कि बैंकों को अगले आदेश तक डिविडेंड नहीं देना होगा। बैंकों के लिए एलसीआर रिक्वायरमेंटव 100 फीसदी से घटाकर 80 फीसदी कर दी गई है। राज्यों के लिए आरबीआइ ने लिमिट बढ़ाने का कदम उठाया है। उसने राज्यों के पूरे कर्ज प्लान में कोई बदलाव नहीं किया है। शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआइ कोविड-19 के कारण देश में उत्पन्न स्थिति पर लगातार रखे हुए है। बैंक और वित्तीय संस्थान महामारी के इस दौर में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

भारत की विकास दर जल्दी सुधरेगी

शक्तिकांत दास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भारत की जीडीपी में 1.9 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद जताई है। हालांकि आइएमएफ ने यह भी कहा है कि भारत की विकास दर में जल्दी ही सुधार आने की संभावना है। आरबीआइ गवर्नर ने कहा है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) के फरवरी के आंकड़ों पर कोरोना महामारी का कोई असर नहीं पड़ा है क्योंकि भारत में इसका ज्यादा प्रभाव उसके बाद ही दिखाई दिया।

इन क्षेत्रों पर दिखा असर

तमाम क्षेत्रों पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि मार्च में ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री गिरी है। बिजली की खपत में भी भारी गिरावट आई है। मार्च में देश का निर्यात 34.6 फीसदी गिर गया। निर्यात पर असर 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से भी ज्यादा गंभार रहा।

मोबाइल, इंटरनेट बैंकिंग पर असर नहीं

आरबीआइ का कहना है कि इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग में लॉकडाउन के दौरान कोई कमी नहीं आई है। बैंकों का कामकाज भी सामान्य है। आरबीआइ के उपायों के बाद बैंकों में सरप्लस लिक्विडिटी तेजी से बढ़ी। 

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