सरकार ने शुक्रवार को कॉरपोरेट जगत को बड़ी राहत देने का ऐलान किया। कंपनियों के लिए इनकम टैक्स की दर लगभग 10 फीसदी घटा दी गई है। अब उनके लिए टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फीसदी होगी। नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 17.01 फीसदी प्रभावी टैक्स दर की नई व्यवस्था शुरू की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गोवा मे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। नई टैक्स दरें अप्रैल 2019 से लागू होंगी। इसके लिए अध्यादेश जारी कर फाइनेंस बिल में संशोधन किया गया है। ये कदम विकास दर छह साल के निचले स्तर पर चले जाने के बाद उठाए गए हैं। इनसे कंपनियों द्वारा नया निवेश करने और लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। टैक्स में छूट से सरकार का राजस्व 1.45 लाख करोड़ रुपये कम होने की उम्मीद है।
टैक्स की दर 30 फीसदी से घटकर 22 फीसदी हुई
वित्त मंत्री ने कहा कि जो कंपनियां किसी तरह की छूट या इन्सेंटिंव हासिल नहीं करेंगी, उनके लिए टैक्स की दर 22 फीसदी होगी। सरचार्ज और सेस के साथ प्रभावी दर 25.17 फीसदी होगी। अभी तक इनके लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी थी। सरचार्ज और सेस समेत यह 34.94 फीसदी बैठती थी। 1991 में उदारीकरण की शुरुआत के बाद यह एक बार में सबसे बड़ी टैक्स कटौती है।
नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को राहत ज्यादा
मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आयकर कानून में नया प्रावधान जोड़ा गया है। इसके तहत 1 अक्टूबर 2019 को या इसके बाद गठित होने वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 15 फीसदी टैक्स की दर तय की गई है। सरचार्ज और सेस समेत प्रभावी टैक्स दर 17.01 फीसदी होगी। इन कंपनियों के लिए 31 मार्च 2023 तक ऑपरेशन शुरू करना जरूरी होगा। ये कंपनियां भी किसी तरह की छूट का दावा नहीं कर सकेंगी। अभी नई कंपनियों के लिए टैक्स की दर 25 फीसदी है, जो सरचार्ज और सेस समेत 29.12 फीसदी बैठती है।
अन्य फैसलेः मैट में 3.5 फीसदी की कटौती
मैटः न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) में भी कटौती की गई है। जो कंपनियां छूट और इन्सेंटिव लेंगी, उनके लिए मैट की दर 18.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने का फैसला किया गया है।
सुपर रिच टैक्सः 5 जुलाई को पेश बजट में सुपर-रिच टैक्स लागू किया गया था। अब शेयर बिक्री के जिन सौदों पर सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) लगता है, उन पर बढ़ा हुआ सेस लागू नहीं होगा।
कैपिटल गेनः विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) को बेचे जाने वाली सिक्युरिटी या डेरिवेटिव्स सौदों पर होने वाले कैपिटल गेन को भी बढ़े हुए सेस से बाहर कर दिया गया है।
बायबैकः लिस्टेड कंपनियों को बायबैक में राहत दी गई है। जिन कंपनियों ने 5 जुलाई 2019 से पहले बायबैक की घोषणा की है, उनके बायबैक पर टैक्स नहीं लगेगा।
सीएसआरः सरकार और सरकारी कंपनियों के इनक्यूबेटर, सरकारी फंड से चलने वाले शिक्षण संस्थानों, आईआईटी को सीएसआर के दायरे में लाया गया है।