रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अस्थाई आंकड़े के मुताबिक अप्रैल-अक्तूबर 2014 के दौरान 22.15 अरब डालर का निर्यात हुआ था। निर्यातकों की शीर्ष संस्था फियो (भारतीय निर्यातक संगठनों का महासंघ) ने कहा कि सोने की कीमत में गिरावट और वैश्विक मांग में नरमी, निर्यात में गिरावट की प्रमुख वजह रही। इसके अलावा देश से होने वाले निर्यात की खेपों को खारिज किए जाने के मामले में बढ़ोतरी से भी निर्यात प्रभावित हुआ। फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा हमारे खेपों को खारिज किए जाने की रफ्तार भी उंची रही। हमें इस उद्योग में लोगों को प्रशिक्षित करने पर ध्यान देने की जरूरत है। चीन इस क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा प्रतिस्पधर्धी देश है और उनका श्रमबल बेहतर प्रशिक्षित है।
चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने में चार अरब डालर की खेप लौटाई गई जो अप्रैल-अक्तूबर 2014 की अवधि में 1.78 अरब डालर थी। अक्तूबर में भी इस श्रम केंद्रित क्षेत्र से होने वाला निर्यात सालाना स्तर पर करीब 13 प्रतिशत घटकर 3.48 अरब डालर रह गया। उद्योग सोने के आयात शुल्क में कटौती की भी मांग कर रहा है ताकि सोने की पर्याप्त आपूर्ति हो और आभूषण के लिए निर्यात की मांग पूरी की जा सके। चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण के लिए सरकार ने सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था।