देश की 87 फीसदी करंसी को अवैध घोषित करने का फैसला देश की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ा हैैै। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2016-17 के चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2017 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ 6.1 फीसदी रही, जबकि इससे पहली तिमाही में यह 7 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी की ग्रोथ 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है जो वर्ष 2015-16 में रही 8 फीसदी की विकास दर से करीब एक फीसदी कम है। वर्ष 2016-17 में जीडीपी की विकास दर में दिखी इस कमी को नोटबंदी का परिणाम माना जा रहा है। गौरतलब है कि 8 नवंबर, 2016 को हुए नोटबंदी के फैसले के बाद अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों खासकर असंगठित कारोबार सुस्ती की चपेट में आ गए थे। हालांकि, विमुद्रीकरण से आईटी, मोबाइल और बैंकिंग क्षेत्र की कंंपनियाेें का फायदा पहुंचा है लेकिन रियल एस्टेट जैसे क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए।
ज्यादातर सेक्टरों पर नोटबंदी का असर
नोटबंदी के फैसले के बाद विकास दर के साथ जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडेड) ग्रोथ में भी गिरावट रही। वित्त वर्ष 2017 में जीवीए ग्रोथ 7.9 फीसदी से घटकर 6.6 फीसदी रही है। हालांकि, वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में कृषि सेक्टर की ग्रोथ 1.5 फीसदी से बढ़कर 5.2 फीसदी रही है लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 12.7 फीसदी से घटकर 5.3 फीसदी रह गई है। इसी तरह वित्त वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 10.5 फीसदी से घटकर 6.4 फीसदी रही है। इसी अवधि में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ 6 फीसदी से घटकर -3.7 फीसदी रही है, जिससे इस क्षेत्र पर नोटबंदी की मार जाहिर होती है।