विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 3.2 फीसदी घट सकती है। आर्थिक प्रगति के मामले में यह भारत का 41 साल में सबसे खराब प्रदर्शन होगा। विश्व बैंक के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आने से करोड़ों लोगों के गरीब होने का अंदेशा है।
भारत के बारे में विश्व बैंक ने कहा कि वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए अत्यंत कड़े लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठंडी पड़ गईं। सरकार के वित्तीय और आर्थिक राहत पैकेज के बावजूद आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। वैश्विक स्तर की आर्थिक सुस्ती और वित्तीय क्षेत्र की खराब हालत का भी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है।
जनवरी में दिखाई थी बेहतर तस्वीर
बैंक ने भारत के बारे में जनवरी के बाद अत्यंत निराशाजनक अनुमान पेश किया है। जनवरी में उसने उम्मीद जताई थी कि 2019-20 में भारत की विकास दर 7.5 फीसदी रहेगी जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा होगी। संयुक्त राष्ट्र ने पिछले महीने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर घटकर लेकिन शून्य से ऊपर 1.2 फीसदी पर रहने की संभावना जताई थी।
विश्व बैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट के अनुसार भारत की आर्थिक विकास दर माइनस 3.2 फीसदी रहेगी यानि जीडीपी 3.2 फीसदी घट जाएगा। जबकि बीते वित्त वर्ष 2019-20 में विकास दर 4.2 फीसदी रही थी। इससे पहले 1979 में भारत की निगेटिव ग्रोथ रेट 5.24 फीसदी पर दर्ज की गई थी।
करोड़ों लोग गरीब हो जाएंगे
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल स्तर पर अर्थव्यवस्था में 5.2 फीसदी की भारी भरकम गिरावट आ सकती है। इसके कारण अर्थव्यवस्थाओं के सबसे बड़े वर्ग को 1870 के बाद पहली बार प्रति व्यक्ति आय में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। इस साल प्रति व्यक्ति आय में 3.6 फीसदी गिरावट आने से करोड़ों लोग गरीबी में बहुत गहरे धंस जाएंगे।
हालात गंभीर लेकिन अगले साल सुधार
विश्व बैंक ग्रुप के वाइस प्रेसीडेंट सेयला पैजरबासियोग्लू ने वैश्विक अनुमानों पर कहा कि अत्यंत निराशाजनक हालात दिखाई दे रहे हैं। इस संकट का असर लंबे असर तक बने रहने और विश्व के सामने गंभीर चुनौतियां आने की आशंका है। हालांकि रिपोर्ट ने अगले साल ग्लोबल ग्रोथ सुधरने और 4.2 फीसदी पर आने की संभावना दिखाई है। विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं इस साल सात फीसदी गिरने का अनुमान है, लेकिन अगले साल ये 3.9 फीसदी सुधर जाएंगी।