आर्थिक विकास दर सुस्त पड़ने के साथ मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दर घटने के बाद सर्विस सेक्टर में भी रफ्तार धीमी पड़ने के संकेत मिले हैं। अगस्त में सर्विस सेक्टर की विकास दर धीमी पड़ने से रोजगार पैदा होने और उत्पादन वृद्धि की गति भी सुस्त पड़ गई। यह जानकारी बुधवार को एक मासिक सर्वे से मिली है।
जुलाई में पीएमआइ रहा 52.4 पर
आइएचएस मार्किट इंडिया के अनुसार सर्विस बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स अगस्त में घटकर 52.4 पर रह गया। जबकि जुलाई में इसका आंकड़ा 53.8 पर था। पीएमआइ का आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का आशय सकारात्मक विकास दर होता है जबकि आंकड़ा इससे नीचे जाने पर सुस्ती मानी जाती है।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर जैसा ही रुख
आइएचएस मार्किट की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डि लीमा ने कहा कि भारत के सर्विस सेक्टर का कमजोर पीएमआइ इंडेक्स मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के सुस्त रुख के अनुरूप रहा है। इससे चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी आर्थिक विकास दर सुस्त रहने के संकेत मिल रहे हैं। गौरतलब है कि देश की समूची अर्थव्यवस्था में सर्विस सेक्टर की हिस्सेदारी 53 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है। इसलिए इसमें सुस्ती का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर कहीं ज्यादा व्यापक होगा।
दोनों सेक्टरों के इंडेक्स में भी गिरावट
आइएचएस मार्किट इंडिया कंपोजिट पीएमआइ आउटपुट इंडेक्स 53.9 से घटकर अगस्त में 52.6 पर रह गया। इसमें मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टरों की तस्वीर दिखाई देती है। पीएमआइ में गिरावट आने के बावजूद यह लगातार 18वें महीने सकारात्मक वृद्धि का रुख लिए हुए रहा है।
वेट एंड वाच के मूड में कंपनियां
सर्वे के मुताबिक जुलाई के मुकाबले नए ऑर्डरों की कुल विकास दर धीमी रही। अगस्त में प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां बढ़ीं लेकिन इनकी भी वृद्धि दर धीमी रही। लीमा के अनुसार यद्यपि मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के दोनों सर्वे में रोजगार बढ़ने के संकेत मिले हैं लेकिन रोजगार विस्तार की धीमी रफ्तार से संकेत मिलता है कि मांग में अच्छी बढ़ोतरी के लिए लंबे अरसे इंतजार कर रही कंपनियां इस इस समय वेट एंड वाच की नीति अपना रही हैं।
दूसरी तिमाही में सुस्ती जारी रहने के संकेत
पिछले सप्ताह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) विकास दर घटकर छह साल के निचले स्तर पांच फीसदी रहने की रिपोर्ट सामने आई थी। इससे पहले भी कई सेक्टरों में मांग अत्यधिक सुस्त पड़ने की रिपोर्ट आ रही थीं। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के बाद सर्विस सेक्टर में भी सुस्ती के संकेत मिलना चिंता की बात है। इससे भी समस्या यह है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पहली तिमाही जैसी सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं।