देश की अर्थव्यवस्था की चक्का जाम ही चल रहा है। मेक इन इंडिया जैसे तमाम नारों का जमीन पर कोई सकारात्मक असर पड़ता नहीं दिख रहा है औद्योगिक उत्पादन में 3.2 फीसदी की कमी आई और महंगाई दर में जबर्दस्त उछाल आया। दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 से बढ़कर 5.61 हो गया।
अर्थशास्त्री और खुद रिजर्व बैंक के गवनर रघु रामराजन भी पिछले कुछ समय से अर्थव्यवस्था में हो रही गिरावट पर चिंता व्यक्त कर रहे थे। औदयोगिक उत्पादन में गिरावट का सीधा अर्थ है कि जितना उत्पादन होना चाहिए था, वह नहीं हो रहा था। कैपिटल गुड्स और बिजली क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से यह मंदी दर्ज करी गई। औद्योगिक विकास दर पिछले चार सालों में यह सबसे कम रही। इसी तरह से महंगाई की दर में इजाफा भी इस बात का संकेत है कि जीवन यापन दिनो-दिन मुश्किल होता जा रहा है। केंद्र सरकार के लिए भी यह कड़ी चुनौती है कि किस तरह से अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर ले जाए।