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कोका-कोला पर जल संकट पैदा के आरोप, नार्वे से आई रिपोर्ट

दुनिया की जानी-मानी बेवरेज कंपी कोका-कोला पर भारत में जल संसाधनों के दुरुपयोग के आराेप लगे हैं। नार्वे की एक संस्‍था ने अपनी रिपोर्ट में कोका-कोला द्वारा भारत में की जा रही जल संसाधनों की बर्बादी का खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के आधार पर नार्वे के सरकारी पेंशन फंड पर कोका-कोला से निवेश वापस खींचने की मांग की जा रही है।
कोका-कोला पर जल संकट पैदा के आरोप, नार्वे से आई रिपोर्ट

भारत में कोका-कोला की गतिवधियों की पड़ताल करने वाले इंडिया रिसोर्स सेंटर के अमित श्रीवास्‍तव का कहना है कि विशुद्ध रूप से मुनाफा कमाने के मकसद से कोका-कोला ने भारत के कई जल संकट से जूझ रहे इलाकों में अपने बोटलिंग प्‍लांट लगाए हैं, जिससे इनके आसपास रहने वाले समुदाय के लिए जल सकंट पैदा हो गया है। लोगों को पानी चाहिए, कोका-कोला नहीं। गैर-सरकारी संस्‍था इंडिया रिसोर्स सेंटर की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, करीब 890 अरब डॉलर के नार्वे के सरकारी पेंशन फंड का कोका कोला में करीब एक अरब डॉलर का निवेश है। कोका-काेला से जुड़ी अन्‍य कंपनियों में भी इसके शेयर हैं। भारत में उत्‍तर प्रदेश के मेहदीगंज, राजस्‍थान के काला डेरा और केरल के प्‍लाचीमाडा में जल प्रबंधन के गैर-जिम्‍मेदार तौर-तरीकों के आधार पर भारत व नार्वे के कई कार्यकताओं ने नार्वे के सरकारी फंड से कोका-कोला में अपना निवेश वापस लेने की मांग की है। आरोप हैं भारत में कोका-कोला की गतिविधियां नार्वे के इस फंड की सामाजिक व पर्यावरण के प्रति जिम्‍मेदारी से जुड़े दिशानिर्देशों के प्रतिकूल हैं।

 

कोला-कोला पर जल संकट पैदा करने के ये आरोप नार्वे की एक संस्‍था एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल वाटर स्‍टडीज (FIVAS) की रिपोर्ट के आधार पर लगाए गए हैं। डेड इन द वाटर  नाम की इस रिपोर्ट में कोका-कोला द्वारा भारत में जल की बर्बादी को उजागर किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कोका-कोला द्वारा पानी के कमर्शियल इस्‍तेमाल से मेहदीगंज, प्‍लाचीमाडा और काला डेरा में जल संकट पैदा हो गया है। यह नार्वे के सरकारी पेंशन फंड के निवेशकों की अपेक्षाओं और जल प्रबंधन में जिम्‍मेदारी बरतने की नीति के खिलाफ है। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि भारत में कोका-कोला की गतिविधियों के चलते स्‍थानीय समुदाय को जल से वंचित करना मानवाधिकारों का भी हनन है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की आम सभा ने जल और साफ-सफाई को भी मानवाधिकारों के तौर पर स्‍वीकार किया है।

 

वालमार्ट, वेदांता अौर रियो टिंटो से वापस हो चुका है निवेश

गौरतलब है कि नार्वे को टैक्‍स और पेट्रोलियम से प्राप्‍त राजस्‍व की सुरक्षा और निवेश के मकसद से वर्ष 1990 में इस फंड की स्‍थापना की गई थी। इस फंड का प्रबंधन नार्जिस बैंक द्वारा किया जाता है। फंड की नीतियों और दिशानिर्देशों पर खरा नहीं उतरने की वजह से वालमार्ट, वेदांता और रियो टिंटो जैसे कंपनियों से निवेश वापस किया जा चुका है। एसोसिएशन अॉफ इंटरनेशनल वाटर स्‍टडीज ने नॉर्जिस बैंक से सिफारिश की है कि बार-बार जल प्रबंधन में कोताही बरतने वाली कंपनियों में निवेश ने किया जाए। संस्‍था ने कोका-कोला से भी मेहदीगंज और काला डेरा में अपनी गतिविधियां रोकने को कहा है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में इंडिया रिसोर्स सेंटर ने एसोसिएशन अॉफ इंटरनेशनल वाटर स्‍टडीज की सहायता की है। 

 

 

 

 

 

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