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पंजाब से बाहर भी पंजाबी मछली के चटखारे

गेंहू और चावल उगाने वाले पंजाब के उन किसानों के लिए अच्छी खबर है, जो कई सालों से इस फसल में घाटा खा रहे हैं। कर्ज चले दबे हैं। लगातार पंजाब ने मछली पालन में पहला स्थान बरकरार रखा हुआ है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने अब मछली पालन को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। सरकार ने पूरे पंजाब में मछली पालन में 50 फीसदी सब्सिडी का एलान किया है। यही नहीं सरकार इसे अब वैज्ञानिक स्तर पर शुरू करने जा रही है। जिसके तहत पंजाबी की मछली का बड़े स्तर पर बाहर के देशों में भी निर्यात किया जाएगा।
पंजाब से बाहर भी पंजाबी मछली के चटखारे

 

खेती में हो रहा नुकसान किसी से छिपा नहीं। ऐसे में किसान गेंहू और चावल की खेती के चक्र से बाहर विकल्पों पर किस्मत आजमा रहे हैं। पंजाब में इसकी शुरूआत हो चुकी है। जिन किसानों ने मछलीपालन शुरू किया था उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया। राज्य के पशुपालन, मतस्य पालन एवं डेयरी विकास मंत्री गुलजार सिंह रणिके के अनुसार इस समय पंजाब में प्रति हैक्टयर 6560 कि.ग्राम मछली का उत्पादन होता है जोकि देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि मछली पालन व्वसाय में अपार संभावनाएं हैं और यदि इस व्यवसाय को वैज्ञानिक आधार पर आरंभ किया जाए तो इस द्वारा अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

 

उन्होंने कहा कि मछली पालन व्यवसाय की आधुनिक और वैज्ञानिक स्तर का प्रशिक्षण देने के लिए पंजाब में स्थापित किये 12 केंद्रों पर 6 जुलाई को पांच दिवसीय कोर्स भी आरंभ किया जा रहा है। जहां सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले मछली पालक को आसान दरों पर वित्तीय सहायता और विभाग द्वारा सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अबूलखुराना (श्री मुक्तसर साहिब), कत्ली (रूपनगर),  फग्गनमाजरा- बागड़ीयां (फतेहगढ़ साहिब),  सरदूल गढ़,  बाघापुराना (मोगा),  हैयात नगर (गुरदासपुर),  संगरूर,  मालवाल (फिरोजपुर),  अमृतसर,  धंदूआ (नवांशहर),  बीड़ शिकारगाह कांजली (कपूरथला) और हरियाणा (होश्यिारपुर) में राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ वैज्ञानिक प्रशिक्षण देंगे।

 

मछली पालन विभाग के निदेशक श्री इंद्रजीत सिंह ने बताया कि एक एकड़ भूमि में मछली पालने वाले किसानों को विभागीय स्तरों अनुसार तलाबों की खुदाई के बाद 60 हजार रुपये,  खाद्य खुराक के लिए 20,000 रुपये और पानी में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए एयरेएटर की खरीद पर 18,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। 

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