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मोदी राज में 64 फीसदी तक महंगी हुई दालें

मोदी सरकार के एक साल के दौरान विभिन्‍न महानगरों में दालों के दाम 64 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। महंगाई से राहत के तमाम दावों के बावजूद आम आदमी पर महंगाई की मार बदस्‍तूर जारी है।
मोदी राज में 64 फीसदी तक महंगी हुई दालें

नई दिल्‍ली। महंगाई में कमी के दावों के उलट मोदी सरकार के एक साल के दौरान प्रमुख महानगरों में दालें 64 प्रतिशत तक महंगी हुई हैं। मुख्य रूप से घरेलू उत्पादन घटने से दालों के दाम चढ़े हैं। लगातार दूसरे वर्ष मानसून खराब रहने की भविष्यवाणी के बीच सरकार एमएमटीसी जैसी सरकारी व्यापार कंपनियों के जरिये दलहनों का आयात करने पर विचार कर रही है ताकि दलहनों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाया जा सके और बढ़ती खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाया जा सके। 

उपभोक्ता मामलों के मंत्राालय द्वारा रखे गये आंकड़ों के अनुसार मौजूदा केंद्र सरकार के पहले वर्ष में उड़द, तुअर, मसूर दाल, चना और मूंग के दामों में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया है। मौजूदा समय में महानगरों में उड़द की बिक्री 105-123 रुपये प्रति किलो के हिसाब से हो रही है। पिछले साल तक इस दाल का दाम 64 से 80 रुपये प्रति किलो थी। उड़द का दाम मौजूदा समय में कोलकाता में 64 प्रतिशत बढ़कर 105 रुपये किलो हो गया जो मई, 2014 में 64 रुपये किलो थी। मुंबई में यह 123 रुपये किलो, दिल्ली में 109 रुपये किलो और चेन्नई में 116 रुपये प्रति किलो है। 

इसी प्रकार से तुअर अथवा अरहर की कीमत 53 प्रतिशत बढ़कर 102-116 रपये किलो के दायरे में चल रही हैं जो कि पिछले साल 68 ..86 रपये किलो थी। मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं कि मसूर दाल की कीमतें 40 प्रतिशत की तेजी के साथ 80 से 94 रुपये किलो के बीच हैं जो पिछले वर्ष 60 से 75 रुपये प्रति किलो के बीच थी। मूंग की भी कीमत 26 प्रतिशत बढ़कर अब 107 से 116 रुपये के दायरे में हैं जो पिछले साल की समीक्षाधीन अवधि में 92 से 105 रुपये प्रति किलो के बीच थी। 

विशेषज्ञों के अनुसार दलहनों की खेती वर्षा सिंचित क्षेत्राों में होती है और सामान्य से कम मानसून रहने के कारण फसल वर्ष 2014-15 के दौरान घरेलू उत्पादन में कमी के कारण दालों की कीमतों में तेजी आई है। फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई से जून) में दलहनों का उत्पादन घटकर एक करोड़ 84.3 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल एक करोड़ 97.8 लाख टन था।  

देश में साल भर में 1.8 से 1.9 करोड़ टन दलहनों का उत्पादन होता है लेकिन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 30 से 40 लाख टन दलहनों का आयात करना पड़ता है। पिछले दो वर्ष में मुख्य रूप से दालों का आयात निजी व्यापारियों द्वारा किया गया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2013-14 में दलहन का 30 लाख टन आयात किया जबकि यह 2014-15 में 34 लाख टन रहने का अनुमान है।

 

 

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