उन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्र से कहा कि वह कराधान से जुड़े अपने सुझाव हाल ही में गठित कर मुद्दों संबंधी समिति को दें। उन्होंने कहा कि सरकार इस समिति की सिफारिशों पर गंभीरता से विचार करेगी। वह यहां आवास बाजार पर एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे जिसमें रियल एस्टेट कंपनियों और आवास कर्ज उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के आला अधिकारी शामिल हुए। जेटली ने कहा कि जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था का सवाल है तो यह क्षेत्र आगामी महत्वपूर्ण कारक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि आवास के लिए जमीन की आसान उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण है जबकि ब्याज दरें तो पहले ही नीचे आ गई हैं ताकि कोष लागत को कम किया जा सके। जेटली ने कहा, ‘रीयल्टी क्षेत्र को बाजार अर्थव्यवस्था पर आधारित होना चाहिए और उद्योगों के जीवित रहने का आधार सब्सिडी नहीं होनी चाहिए। मुद्रास्फीति को नियंत्राण में किया जा चुका है और भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में इस साल चार बार पहले ही कटौती की है, यह क्षेत्र के लिए सकारात्मक कदम हैं और उम्मीद है कि ये कदम आगे भी बने रहेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘रीयल्टी क्षेत्र के लिए मंदी का दौर अब समाप्त होना चाहिए। वृहद आर्थिक मुद्दों पर जेटली ने कहा कि वैश्विक माहौल मददगार नहीं रहा है और इसका असर भारत में निर्यात में गिरावट के रूप में दिख रहा है। उन्होंने कहा, भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है... हमारे प्रणालीगत बचाव उपाय ऐसे होने चाहिए कि वैश्विक उतार चढाव का मुकाबना करने की क्षमता और मजबूत हो। उन्होंने कहा, ‘हम यदि सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था नही तो इसमें कोई सवाल नहीं कि हम तेजी से बढ़ने वालों में से एक हैं ... राजस्व प्राप्ति के बारे में संकेत उम्मीद बढ़ाने वाले दिखते हैं।’
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के कम दाम से होने वाली बचत का इस्तेमाल सिंचाई और ढांचागत क्षेत्र में किया जा रहा है। जबकि बिजली क्षेत्र की स्थिति में सुधार लाना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा, सड़कों और राजमार्गों के बाद बहुत जल्दी हम बिजली क्षेत्र पर ध्यान देंगे।