यूआईडीएआई ने ऑर्गेनाइजेशन को लिखे अपने पत्र में तर्क दिया है कि वेबसाइट्स से डाउनलो़ड किया गया डेटा तब तक एक्सेस नहीं हो सकता जब तक वेबसाइट को हैक नहीं किया गया हो। हैकिंग एक गंभीर अपराध है। ऑर्गेनाइजेशन द्वारा इस तरह के आरोपों के बाद यूआईडीएआई ने सीआईएस को डेटा चोरी में शामिल लोगों का विवरण देने के लिए कहा है। आधार सिस्टम आईटी एक्ट, 2000 के सेक्शन 70 के तहत आता है। इन धाराओं के उल्लंघन पर 10 साल तक की सजा हो सकती है। यूआईडीएआई ने सीआईएस को 30 मई से पहले जवाब देने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि सीआईएस की रिपोर्ट के मुताबिक, कई सरकारी विभागों की वेबसाइट्स से कथित तौर पर डेटा सार्वजनिक हो गए हैं। इनमें लोगों की वित्तीय जानकारी और आधार नंबर भी शामिल है। सीआईएस ने ऐसा दावा किया कि ऐसा वेबसाइट्स के कमजोर सिक्योरिटी के फीचर्स के कारण हुआ है।
यूआईडीएआई ने कहा, सीआईएस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी वेबसाइट्स की आईटी सिक्योरिटी को और मजबूत करने की जरूरत है, लेकिन ये भी जरूरी है कि ऐसी संवेदनशील जानकारियों को हैक करने वालों को कानून की जद में लाया जाए, इसके लिए आपकी सहायता की आवश्यकता है। यूआईडीएआई ने उन सभी लोगों का विवरण देने के लिए कहा है जिसे इस कथित लीक के बाद डेटा साझा किया गया। इसके लिए यूआईडीएआई ने सीआईएस को 30 मई तक का समय दिया है।
हाल ही में यूआईडीएआई के सीईओ डॉ. अजय भूषण पांडेय ने कहा था कि आधार कार्ड से संबंधित डेटा के लीक होने के डर से सभी को निश्चिंत रहना चाहिए, क्योंकि यूआईडीएआई से डेटा लीक होना नामुमकिन है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आधार कार्ड धारकों को अपनी प्राइवेसी को लेकर भी निश्चिंत रहना चाहिए, क्योंकि यूआईडीएआई ने आधार कार्ड धारकों की प्राइवेसी को लेकर पूरा ध्यान रखा है। उन्होंने कहा था कि आधार से संबंधित डेटा लीक करने या उसका गलत इस्तेमाल करने वालों के लिए आधार एक्ट के तहत सजा का भी प्रावधान रखा गया है।