नोटबंदी और जीएसटी के बाद मुश्किल दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार का संकट साफ दिखने लगा है। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जोसफ स्टिग्लिज ने रोजगार और पर्यावरण को भारत के लिए दो सबसे बड़ी चुनौतियां करार दिया है। स्टिग्लिज नई दिल्ली में आयोजित एक आर्थिक सम्मेलन में बोल रहे थे। इससे पहले नोबेल विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन भी आशंका जता चुके हैं कि भारत को बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना करना पड़ सकता है।
स्टिग्लिज का कहना है कि भारत विकास की राह पर आगे बढ़ता रहेगा और ताकतवर अर्थव्यवस्था बना रहेगा लेकिन रोजगार सृजन सिर्फ शहरों में केंद्रित है जो श्रम बाजार में आने वाले नए लोगों की तादाद का बहुत छोटा हिस्सा है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खतरे और कृषि को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की। उनका मानना है कि कृत्रिम बुद्धि जैसे नए क्षेत्रों में चीन अमेरिका को पीछे छोड़ रहा है। इसकी वजह उन्होंने बिग डेटा तक चीन की पहुंच को बताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की नीतियों को स्टिग्लिज ने वैश्वीकरण की संभावनाओं के प्रतिकूल करार दिया है।
रोजगार के मोर्चे पर भारत की चुनौती को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि साल 2014 से 2016 के बीच देश में रोजगार के अवसर बढ़ने के बजाय घटे हैं। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के समर्थन से चल रहे एक रिसर्च प्रोजेक्ट के आंकड़ों से पता चली है। इस बीच खबर है कि रेलवे में एक नौकरी के लिए 200 उम्मीदवार लाइन में हैं।
बिजनेस अखबार मिंट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान देश में 0.1 फीसदी और 2014-15 के दौरान 0.2 फीसदी रोजगार घटे हैं। यह जानकारी केएलईएमएस इंडिया डेटाबेस से सामने आई है जो आरबीआई की मदद से चल रहा रिसर्च प्रोजेक्ट है। रोजगार में गिरावट के ये आंकड़े आरबीआई की वेबसाइट पर भी मौजूद हैं।