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वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे के खिलाफ देश भर के 10 लाख व्यापारी करेंगे प्रदर्शन

अमेरिकी रिटेल कंपनी वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच सौदे के खिलाफ देश भर के 10 लाख व्यापारी एक हजार से...
वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे के खिलाफ देश भर के 10 लाख व्यापारी करेंगे प्रदर्शन

अमेरिकी रिटेल कंपनी वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच सौदे के खिलाफ देश भर के 10 लाख व्यापारी एक हजार से अधिक जगहों पर मंगलवार को प्रदर्शन करेंगे। कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि हमारा प्रदर्शन वालमार्ट द्वारा प्रस्तावित 16 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग एक लाख करोड़ रुपये) में फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के खिलाफ है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया, “पिछले कुछ वर्षों से बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां कम कीमत, भारी छूट और नुकसान की फंडिंग जैसे गलत तरीके अपनाकर हर तरह के भ्रष्टाचार में शामिल रही हैं और इससे ई-कॉमर्स का बाजार व्यापक तौर पर प्रभावित हुआ है।”

खंडेलवाल ने दावा किया कि फिलहाल ई-कॉमर्स के लिए कोई नीति नहीं है, तो वालमार्ट के लिए 2016 के एफडीआई नीति संबंधी प्रेस नोट संख्या तीन का उल्लंघन करना बेहद आसान होगा। उन्होंने कहा कि कैट ने पहले ही प्रतिस्पर्धा आयोग में आपत्तियां दायर की हैं और जरूरत पड़ने पर इस सौदे को अदालत में भी चुनौती देगी।

खंडेलवाल ने कहा, “हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार देश में छोटे व्यवसायों की तरक्की के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विभिन्न घोषणाओं के अनुसार हस्तक्षेप करे और उचित कार्रवाई करे। यह सौदा सीधे देश के छोटे व्यापारियों को प्रभावित करेगा, जो वॉलमार्ट के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होंगे।”

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय प्रेस नोट्स के जरिए एफडीआई नीतियों को अधिसूचित करता है। 2016 में जारी प्रेस नोट तीन में ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं।

इसमें साफ किया गया है कि किसी भी तरह की छूट की इजाजत नहीं है और ई-कॉमर्स बाजार में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन्वेंट्री स्वामित्व की भी अनुमति नहीं है।

वालमार्ट का आधिकारिक बयान

उधर, इस सौदे पर कंपनी के आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया, “वालमार्ट कई वर्षों से भारतीय अर्थव्यवस्था में काम कर रहा है और अपना योगदान दे रहा है। भारत में हमारे बी2बी व्यवसाय के जरिए हम न केवल छोटे किराना के सफल होने का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि उन्हें आधुनिक बनाने में भी मदद कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि एसएमई आपूर्तिकर्ताओं, छोटे किसानों और महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों से माल की खरीद कर हमने भारतीय घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में सहयोग का लगातार प्रयास किया है। हमारे व्यावसाय का एक स्पष्ट नियम है कि हम 95 फीसदी उत्पाद उसी देश से खरीदते हैं। 

भारत उन महत्वपूर्ण देशों में से एक है, जहां से वालमार्ट अन्य वालमार्ट बाजारों के लिए उत्पादों की एक बड़ी मात्रा आयात करता है। इन उत्पादों में हस्तशिल्प, कपड़ा, परिधान, फार्मास्यूटिकल्स इत्यादि शामिल हैं। इससे स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात को बढ़ावा मिलता है। 

उन्होंने बताया कि सरकार की एफडीआई नीति के तहत, जो स्वतः 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति देता है, फ्लिपकार्ट के साथ हमारी साझेदारी हजारों स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं को ग्राहकों तक पहुंच मुहैया कराएगी।

हमारा मानना है कि फ्लिपकार्ट और वालमार्ट की संयुक्त क्षमताओं से भारत का अग्रणी ई-कॉमर्स मंच तैयार होगा। इससे भारत को फायदा होगा, क्योंकि ग्राहकों को गुणवत्ता वाले और किफायती सामान मिलेंगे। साथ ही, छोटे आपूर्तिकर्ताओं, किसानों और महिलाओं उद्यमियों के लिए नई कुशल नौकरियां और अवसर पैदा होंगे।

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस ऐंड एनएएलएसएआर (हैदराबाद) के विजिटिंग प्रोफेसर और डेवलपमेंट इकोनॉमिस्ट डॉ. आमिर उल्ला खान कहते हैं, “भारत में खुदरा बिक्री एक दशक से अधिक समय से बढ़ ही रही है। मुझे इसका कोई प्रमाण नहीं दिखता कि ऑनलाइन सेल्स ऑफलाइन या ब्रिक ऐंड मोर्टार क्षेत्र को निगल रहा है- असल में,  दोनों मॉडल बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, हमने देखा है कि ई-कॉमर्स सेक्टर का अर्थव्यवस्था और नौकरी के विकास पर असर पड़ा है। ई-कॉमर्स ने ऑनलाइन उद्यमियों की एक नई नस्ल को जन्म दिया है, जो भौगोलिक सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं।”

 वहीं, एमजीसी ऐंड केएनएवी ग्लोबल रिस्क एडवाइजरी एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर मोनीश चतार्थ कहते हैं, “यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 2017 के समेकित एफडीआई नीति परिपत्र की धारा 5.2.15.2.3 के अनुसार, 'बाजार मॉडल' का उपयोग करके स्वतः मार्ग के जरिए 100 फीसदी फडीआई की अनुमति है, जहां ई-कॉमर्स कंपनियां अनिवार्य रूप से और अनजाने में विक्रेताओं और उपभोक्ताओं के बीच एक मददगार बनी हैं। बड़े एफडीआई निवेश जाहिर तौर पर हर क्षेत्र में आज की जरूरत है। यह भी स्पष्ट है कि ई-कॉमर्स सेक्टर यहां टिकने के लिए है।”

जबकि इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के अध्यक्ष डॉ. सुभो राय कहते हैं, “ई-कॉमर्स बाजार मॉडल के लिए एफडीआई नियम सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद तय किए गए थे और वॉलमार्ट ने ई-मार्केटप्लेस में निवेश के लिए मौजूदा एफडीआई नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। अगर किसी हितधारक समूह को ऐसा नहीं लगता है तो वे सड़कों पर प्रदर्शन कर अतिरिक्त दबाव बनाने की जगह अदालतों में अपील कर सकते हैं।”

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