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टाटा संस के हवाले एयर इंडिया वाली रिपोर्ट को केंद्र ने बताया गलत, कहा- अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं

रिपोर्ट आई की टाटा संस ने घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए बोली जीत ली है।...
टाटा संस के हवाले एयर इंडिया वाली रिपोर्ट को केंद्र ने बताया गलत, कहा- अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं

रिपोर्ट आई की टाटा संस ने घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए बोली जीत ली है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने बताया, अब टाटा ग्रुप एयर इंडिया का नया मालिक होगा। रिपोर्ट में कहा गया कि मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। आने वाले दिनों में एक आधिकारिक घोषणा की उम्मीद है। लेकिन, अब केंद्र ने कहा है कि ये रिपोर्ट गलत है। अभी निर्णय नहीं लिया गया है।

निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव ने कहा है, एयर इंडिया विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों को मंजूरी देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत हैं। सरकार के निर्णय के बारे में मीडिया को सूचित किया जाएगा जब भी यह लिया जाएगा।

रिपोर्ट ने बताया था कि एअर इंडिया के लिए जो कमिटी बनी है, उसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, कॉमर्स मंत्री पियूष गोयल और एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। सूत्रों के अनुसार, एअर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था।

टाटा ग्रुप ने स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह से ज्यादा की बोली लगाई थी। इस तरह करीब 68 साल बाद एअर इंडिया घर वापसी कर गई है। एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख 15 सितंबर थी। उसके बाद से ही यह अनुमान था कि टाटा ग्रुप एअर इंडिया को खरीद सकता है।

68 साल बाद फिर टाटा की होगी एयर इंडिया

एअर इंडिया को 1932 में टाटा ग्रुप ने ही शुरू किया था। टाटा समूह के जे.आर.डी. टाटा इसके फाउंडर थे। वे खुद पायलट थे। तब इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया। 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी। बाद में ये कंपनी पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और 29 जुलाई, 1946 को इसका नाम एयर इंडिया रख दिया गया। साल 1953 में सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और कंपनी के फाउंडर जे.आर.डी. टाटा से मालिकाना हक खरीद लिया। इसके बाद फिर इस कंपनी का नाम एयर इंडिया इंटरनेशनल लिमिटेड रखा गया। इस तरह टाटा ग्रुप ने एक बार फिर 68 साल बाद अपनी ही कंपनी को वापस पा लिया है।

2020 में शुरू हुई थी एयर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया 

बता दें कि एयर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया जनवरी 2020 में ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसमें लगातार देरी हुई। अप्रैल 2021 में सरकार ने एक बार फिर योग्य कंपनियों से बोली लगाने को कहा। 15 सितंबर बोली लगाने का आखिरी दिन था। साल 2020 में भी टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के अधिग्रहण को लेकर रुचि पत्र दिया था। सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओएल) के नियमों में ढील दी थी जिसके बाद कर्ज में डूबे एयर इंडिया को खरीदने में कुछ कंपनियों ने रुचि दिखाई। नए नियमों के तहत ही कर्ज के प्रावधानों में नरमी बरती गई ताकि स्वामित्व वाली कंपनी को पूरा कर्ज न वहन करना पड़े।

 

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