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कोविड-19 महामारी के चलते निजी स्वास्थ्य क्षेत्र वित्तीय संकट में, सरकार करे विचारः रिपोर्ट

देश में कोरोना वायरस बीमारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के योगदान की...
कोविड-19 महामारी के चलते निजी स्वास्थ्य क्षेत्र वित्तीय संकट में, सरकार करे विचारः रिपोर्ट

देश में कोरोना वायरस बीमारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के योगदान की अपनी अहमियत है लेकिन कोविड-19 महामारी ने निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप मार्च के अंतिम दस दिनों में टेस्ट वॉल्यूम में 70 से 80 फीसदी और राजस्व में 50-70 फीसदी की गिरावट आई है। लगातार लॉकडाउन के चलते निजी क्षेत्र के लिए परिचालन करना मुश्किल हो गया है। नकदी का प्रवाह न होने से कई छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम खासतौर से टू और थ्री टायर जैसे शहरों में बंद करने को मजबूर हैं। यह खुलासा फिक्की और ई-इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है। साथ ही सरकार से सिफारिश की है कि अन्य उद्योगों की तरह निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को भी कुछ वित्तीय सहायता और छूट दी जाए ताकि देश के संकट की घड़ी में वे अपनी क्षमताओं का बेहतर इस्तेमाल कर सकें।

पहले से ही तनावग्रस्त स्वास्थ्य सेवा उद्योग अनिश्चितता के साथ कोविड-19 के नकारात्मक आर्थिक प्रभाव को महसूस कर रहा है। फिर भी, निजी अस्पताल और नर्सिंग होम, जो 8.5-9 लाख पर 60 फीसदी से अधिक बेड का निर्माण करते हैं, पिछले महीने भारत में 60 फीसदी डॉक्टर और 80 फीसदी डॉक्टर, अतिरिक्त श्रमशक्ति, उपकरण वगैरा पर खासा निवेश किया है।  जरूरत पड़ने पर संसाधनों के साथ सौ फीसदी स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहे हैं। बावजूद इसके सरकार सरकार सुविधाओं, पर्यटन, निर्माण जैसे क्षेत्रों में वित्तीय संकट पर संज्ञान ले रही है, लेकिन निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा महसूस किए गए संकट के बारे में बहुत कम चर्चा की जा रही है।

पड़ते बोझ पर तत्काल विचार की जरूरतः डा संगीत रेड्डी

फिक्की की अध्यक्ष और अपोलो अस्पताल समूह की संयुक्त प्रबंध निदेशक डॉ संगीता रेड्डी ने कहा, “भारत में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र वायरस को रोकने के लिए सरकार के साथ मजबूती से खड़ा है और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हालांकि, स्वास्थ्य उद्योग पर पड़ते तिगुने बोझ पर तत्काल विचार करने की तत्काल आवश्यकता है। मसलन कोविड से पहले राज्य में कम वित्तीय प्रदर्शन, बाहर से कम आने वाले मरीजों से होने वाले नुकसान, डायग्नोस्टिक परीक्षण, ऐच्छिक सर्जरी, अंतरराष्ट्रीय मरीजों में कमी और कोविड-19 के कारण निवेश बढ़ने से नकदी के प्रवाह पर असर पड़ रहा है। इससे पहले कभी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को प्रभावित नहीं किया है।”

उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री का स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशवरों को सम्मानित करने का राष्ट्र को आह्वान मनोबल बढ़ाने वाला है। हालांकि, घटते राजस्व के साथ, तरलता के संदर्भ में कर राहत और अन्य छूट जैसे सरकारी कदम उठाना देश के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं।

नकदी के संकट का सामना कर रहे हैं नर्सिंग होमः डा आलोक रॉय

फिक्की हेल्थसर्विसिज कमेटी और मेडिका ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डा आलोक रॉय ने कहा, “कोविड-19 लॉकडाउन द्वारा किए गए वित्तीय संकट ने टू और थ्री टायर जैसे शहरों में छोटे नर्सिंग होम को बंद करने के लिए मजबूर किया है। मरीजों के कम आने के कारण कई अन्य जल्द ही बंद करने को तैयार हैं उनके पास नकदी का संकट हो गया है। वे अपने कर्मचारियों के वेतन के लिए इस संकट का सामना कर रहे हैं।”

इसे देखते हुए फिक्की ने ई-इंडिया के साथ मिलकर निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव का अध्ययन किया। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि निजी अस्पताल और प्रयोगशालाएं, जो पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहे थे, कोविड-19  और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण तीव्र संकट का गवाह बनेगा, जिसके परिणामस्वरूप मार्च के अंत तक यह उद्योग 40 फीसदी तक गिर  गया है जबकि इसके पहले यह 65-70 फीसदी था। इसके और भी कम होने की उम्मीद है। 80 फीसदी मरीजों के कम आने और राजस्व में गिरावट के कारण प्रयोगशालाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

सरकार वित्तीय उपायों पर कर करें विचारः काइवन मोदवल्ला

ई-इंडिया के हेल्थकेयर के पार्टनर काइवन मोदवल्ला ने कहा, '' निजी क्षेत्र सरकार के साथ राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन यह वास्तव में खुद को 'अंतर सरकारी वित्तीय' उपायों के लिए सरकार को परेशान करने के लिए मजबूर करने वाली स्थिति में पाता है ताकि और संकट के इस घड़ी में देश की सेवा करने के लिए अपनी क्षमताओं का बेहतर इस्तेमाल कर सके।

फिक्की-ईवाई की रिपोर्ट में 14,000 -24,000 करोड़ रुपये की तरलता खाई को दूर करने के लिए लघु अवधि के ब्याज मुक्त या रियायती ब्याज दर ऋण के माध्यम से परिचालन घाटे के वित्तपोषण के लिए सरकारी समर्थन की सिफारिश की गई है।

दी जा सकती हैं कई तरह की छूट

हालांकि सरकार ने निजी अस्पतालों को सीजीएचएस और ईसीएचएस योजनाओं के तहत 1700-2000 करोड़ रुपये की रेंज में सरकारी बकाया जारी करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है। भुगतान की प्रक्रिया अभी बाकी है। इस तरह के बकाए को तत्काल जारी करना महत्वपूर्ण है।

इस क्षेत्र के लिए तत्काल वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए अन्य सिफारिशें भी की गई हैं जिसमें अप्रत्यक्ष कर राहत, एक निर्धारित अवधि के लिए खरीद पर चुकाए गए अयोग्य जीएसटी क्रेडिट के बराबर पुनरावृत्ति राशि की छूट, कोविड मरीजों के इलाज के लिए जरूरी दवाओं, उपभोग्य सामग्रियों और उपकरणों पर सीमा शुल्क, जीएसटी छूट, चिकित्सा उपकरणों पर स्वास्थ्य उपकर की छूट या कटौती, ईपीसीजी योजना के तहत समय का विस्तार आदि शामिल हैं।

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