गुरुवार को यानी आज जीएसटी (माल एवं सेवा कर) काउंसिल की 25वीं बैठक आयोजित की जा रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में यह बैठक राजधानी दिल्ली में हो रही है। इस बैठक में कुछ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं और बजट से पहले आम आदमी और व्यापारियों को काउंसिल बड़ा तोहफा दे सकती है।
जीएसटी परिषद की यह बैठक 2018-19 के बजट से पहले आयोजित हो रही है, जिसमें विभिन्न हितधारक समूहों की ओर से मिले ज्ञापनों के मद्देनजर वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी दरों में कमी पर चर्चा हो सकती है। बैठक में रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति बनाने पर भी चर्चा हो सकती है।
इस दौरान जीएसटी के तहत करों के डिजिटल भुगतान के प्रोत्साहन पर ध्यान देने के साथ डिजिटल आधारित अर्थव्यवस्था के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन पर चर्चा होने की उम्मीद है।
इस बैठक में रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने पर कुछ फैसले लिए जा सकते हैं, इसके अलावा बड़ी इकाइयों के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को भी आसान बनाया जा सकता है। बैठक में ई-वे बिल के लिए एक फरवरी से लागू हो रहे जीएसटीएन (जीएसटी नेटवर्क) की तैयारियों का भी जायजा लिया जाएगा।
जीएसटी काउंसिल ने अपनी 24वीं बैठक में महत्वपूर्ण ई-वे बिल पर हामी भरते हुए इसे 1 फरवरी 2018 से अनिवार्य कर दिया है। अब सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर यह नियम लागू होगा। कुछ राज्य स्वैच्छिक आधार पर 1 फरवरी से राज्य के भीतर और बाहर सामान लाने-लेजाने दोनों में ई-वे बिल लागू कर सकते हैं।
क्या है ई-वे बिल- अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं।
बता दें कि बजट से पहले, जेटली राज्य के वित्त मंत्रियों के साथ पूर्व बजट की बैठक भी करेंगे।