बैंकों के नॉन परफॉरमिंग एसेट (एनपीए) के मामले में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रघुरामन राजन ने जहां एनपीए के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार तो ठहराया ही है, मोदी सरकार को भी कोई क्लीन चिट नहीं दी है। उन्होंने 4 हाई प्रोफाइल एनपीए डिफॉल्टरों की लिस्ट प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को देने की बात कही है।
समाचार एजेंसी आईएनएस के मुताबिक, राजन ने संसद की आकलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को भेजे पत्र में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ियों का आकार बढ़ रहा है। हालांकि, यह कुल एनपीए की तुलना में अभी काफी छोटा है।
रघुराम राजन ने कहा कि जब वे गवर्नर थे तो रिजर्व बैंक ने धोखाधड़ी निगरानी प्रकोष्ठ बनाया था, जिससे धोखाधड़ी के मामलों की जांच एजेंसियों को रिपोर्ट करने के कार्य में समन्वय किया जा सके। उन्होंने पीएमओ को बहुचर्चित मामलों की सूची सौंपी थी। उन्होंने कहा, “मैंने 4 हाई प्रोफाइल एनपीए डिफॉल्टर्स की लिस्ट प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को दी थी, लेकिन इस पर क्या कार्रवाई हुई, उन्हें कोई जानकारी नहीं है। राजन ने कहा, “मैंने कहा था कि समन्वित कार्रवाई से हम कम से कम एक या दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। मुझे नहीं पता कि इस मामले में क्या प्रगति हुई। इस मामले को हमें तत्परता के साथ सुलझाना चाहिए।’
बता दें कि राजन सितंबर, 2016 तक तीन साल के लिए केंद्रीय बैंक के गवर्नर रहे थे। अभी वह शिकॉगो बूथ स्कूल आफ बिजनेस में पढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रणाली अकेले किसी एक बड़े धोखाधड़ी मामले को अंजाम तक पहुंचाने में प्रभावी नहीं है। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी सामान्य एनपीए से भिन्न होती है। उन्होंने कहा, ‘जांच एजेंसियां इस बात के लिए बैंकों को दोष देती हैं कि वे धोखाधड़ी होने के काफी समय बाद उसे धोखाधड़ी का दर्जा देते हैं। वहीं बैंकर्स इस मामले में धीमी रफ्तार से इसलिए चलते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि एक बार वे किसी लेनदेन को धोखाधड़ी करार देते हैं तो धोखेबाजों को पकड़ने की दिशा में कोई खास प्रगति हो न हो, उन्हें जांच एजेंसियां परेशान करेंगी।
राजन ने बताया कि डिफॉल्ट लोन पर बैंक रिकवरी दर की केवल 13 फीसदी हिस्सेदारी थी... अक्षम ऋण वसूली प्रणाली ने प्रमोटरों को उधारदाताओं पर जबरदस्त शक्तियां दीं।