विदेश यात्रा के हवाई टिकटों पर जीएसटी वसूलना ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है बल्कि विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी कमजोर बनाता है।
'भारतीय विमानन क्षेत्र के सामने तमाम चिंताएं'
विमानन कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन आईएटीए (इंटरनेशनल एयरपोर्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन) के प्रमुख एलेक्जेंडर डी जुनियाक ने कहा कि भारतीय विमानन क्षेत्र के सामने हवाईअड्डों का निजीकरण, बुनियादी ढांचा संबंधी चुनौतियां और महंगे विमान ईंधन जैसी तमाम चिंताएं हैं।
हवाई टिकटों पर जीएसटी आईसीएओ के नियमों का उल्लंघन
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आईएटीए से दुनियाभर की 280 से भी अधिक विमानन कंपनियों का संबद्ध हैं। भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया, जेट एयरवेज और विस्तार भी इसकी सदस्य हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान जुनियाक ने कहा अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों पर जीएसटी की वसूली अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) के नियमों का उल्लंघन है। साथ ही, यह विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को कमजोर करता है।
आईसीएओ संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है
गौरतलब है कि आईसीएओ संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है। यह एक वैश्विक विमानन इकाई है। देश में हवाई टिकटों पर जीएसटी की दर इकनॉमी श्रेणी के लिए 5 प्रतिशत और बिजनेस श्रेणी के लिए 12 प्रतिशत है।
'भारत का विमानन क्षेत्र 2037 तक तेजी से बढ़ता दिख रहा है'
आईएटीए के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुनियाक ने कहा कि भारत का विमानन क्षेत्र 2037 तक तेजी से बढ़ता दिख रहा है। तब तक ‘यहां के लिए, यहां से या घरेलू स्तर पर ही’ 50 करोड़ हवाई यात्रा होने लगेगी।