एक तरफ जहां मोदी सरकार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को बेहतर बनाने के प्रयास में जुटी हैं, वहीं विश्व बैंक ने भारत में लागू इस नई कर प्रणाली को लेकर कई बड़े सवाल उठाए हैं। विश्व बैंक ने जीएसटी को काफी जटिल बताया है।
मिंट के मुताबिक, विश्व बैंक ने ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ रिपोर्ट में कहा है कि भारत में लागू टैक्स स्लैब 115 देशों में दूसरा सबसे ज्यादा है। इसमें उसने उन देशों के टैक्स रेट और स्लैब की तुलना की है, जहां जीएसटी लागू है। भारत में 1 जुलाई से लागू जीएसटी में 5 टैक्स स्लैब हैं। इसमें 0, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी है।
इस रिपोर्ट में कहा गया भारत में कर की उच्चतम दर 28 फीसद की है यह करीब 115 देशों के मुकाबले सबसे अधिक कर दर है और एशिया में सबसे ज्यादा है। दुनिया के 49 देशों में जीएसटी की एक दर है, जबकि 28 देश ऐसे हैं जहां जीएसटी की दो दरें प्रचलित हैं और सिर्फ पांच देश ही ऐसे हैं जिसमें भारत भी शामिल है जहां टैक्स की 5 दरें हैं। जो देश जीएसटी की चार या उससे ज्यादा दरों का इस्तेमाल करते हैं उनमें इटली, लग्जमबर्ग, पाकिस्तान और घाना है। इस तरह भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा जीएसटी दरें रखने वाला देश है।
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को लागू करने के लिए किए गए खर्च को लेकर भी सवाल उठाया है। भविष्य में इसमें आवश्यक बदलाव करने का सुझाव दिया गया है और उम्मीद जताई है कि आगे जाकर इसमें सकारात्मक बदलाव होंगे। रिपोर्ट में टैक्स स्लैब की संख्या कम करने और जीएसटी प्रक्रिया को आसान और सरल बनाने का सुझाव दिया गया है।
विश्व बैंक ने जीएसटी के बाद रिफंड की रफ्तार धीमी होने को लेकर भी चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिफंड फंसने से इसका सीधा प्रभाव कारोबारियों की पूंजी पर पड़ता है। इसके कारण उनका कारोबार प्रभावित होता है।
हालांकि, विश्व बैंक ने आने वाले दिनों में भारत में जीएसटी के हालात में सुधार की संभावना भी जताई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि टैक्स स्लैब की संख्या कम करने और कानूनी प्रावधानों को आसान करने से जीएसटी ज्यादा असरदार होगा।