देश के आठ बड़े शहरों में इस साल जनवरी से जून के बीच पिछले साल के मुकाबले चार फीसदी ज्यादा मकान बिके हैं। इस साल की पहली छमाही में 1.29 लाख मकान और फ्लैट बिके हैं। सस्ते मकानों की की मांग बढ़ने के कारण बिक्री में सुधार हुआ है। यह जानकारी प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक ने मंगलवार को इंडिया रिएल एस्टेट रिपोर्ट जारी करके दी है। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में नए घरों की आपूर्ति 21 फीसदी बढ़ गई।
बिना बिके फ्लैटों की संख्या 9 फीसदी घटी
नाइट फ्रैंक की 'इंडिया रियल एस्टेट’ पर अर्धवार्षिक रिपोर्ट में आठ शहरों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद में रेजिडेंशियल और ऑफिस प्रॉपर्टी की मांग, सप्लाई और कीमतों का विश्लेषण किया गया है। इसके मुताबिक पिछले साल की पहली छमाही में 1,24,288 घरों की बिक्री हुई थी, जबकि इस साल जनवरी से जून के बीच 1,29,285 मकान और फ्लैट बिके। पिछले साल इस अवधि में 91,739 नए फ्लैटों की परियोजनाएं शुरू हुई थीं। जबकि इस साल इस दौरान 1,11,175 फ्लैटों की परियोजनाएं लांच हुईं। अच्छी बात यह रही कि इस अवधि में बिना बिके फ्लैटों की संख्या 9 फीसदी घट गई। ऐसे फ्लैटों की संख्या घटकर 4,50,263 रह गई।
दिल्ली-एनसीआर में मांग 10 फीसदी बढ़ी
जनवरी-जून में दिल्ली-एनसीआर में घरों की मांग में सबसे ज्यादा 10% इजाफा हुआ है। मुंबई, पुणे और चेन्नई में जनवरी से जून के बीच घरों की कीमतें पिछले साल की पहली छमाही के मुकाबले क्रमश: 3 फीसदी, 4 फीसदी और 3 फीसदी कम हुई हैं। जबकि, हैदाराबाद में 9% इजाफा हुआ है। बिना बिके फ्लैटों की संख्या में 9 फीसदी की कमी आई है। इनकी संख्या घटकर 4 लाख 50 हजार 263 रह गई है। हालांकि, कोलकाता में इस साल जनवरी-जून तक फ्लैटों की बिक्री 30 फीसदी घटकर 4,588 रह गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेग्युलेटरी अथॉरिटी की ओर से मंजूरी में देरी और डेवलपर्स की नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों पर निर्भरता की वजह से बिक्री में कमी आई है।
सस्ते मकानों को सरकार रियायतों से बिक्री को बढ़ावा
नाइट फ्रैंक इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (नॉर्थ) मुदासिर जैदी के मुताबिक, इस छमाही में घरों की बिक्री में इजाफा होने के चलते लगातार तीसरी तिमाही के दौरान बिक्री के सुधार हुआ है। नाइट फ्रैंक इंडिया के सीएमडी शिशिर बैजल ने कहा कि सरकार के लगातार प्रयासों और रियायतों के कारण अफोर्डेबेल हाउसिंग की डिमांड में इजाफा हुआ है, जिससे रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की बिक्री को समर्थन मिला है।