इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोन मेले पर दांव चला है। इसके लिए देश के 400 जिलों में लोन मेले का आयोजन किया जाएगा। लोन मेले दो हिस्से में लगाने की तैयारी है। पहले 200 जिले और फिर 200 जिलों में इसे आयोजित करने की तैयारी है। पहले चरण में लोन मेले का आयोजन तीन अक्टूबर से सात अक्टूबर तक किया जाएगा। जबकि दूसरे चरण में आयोजन 11 अक्टूबर से किया जाएगा। लेकिन सरकार की यह कवायद कितनी सफल होगी। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
बैंकर्स ने उठाए सवाल
बैंकर्स का कहना है कि एक तो लोन मेले के आयोजन की जो डेडलाइन तय की गई है, वह काफी हड़बड़ी में की गई है। बैंकों को इसके लिए जरूरी तैयारी करने के लिए कम समय मिला है। साथ ही वित्त मंत्री का ऐसा मानना कि मेले आयोजित करने से त्योहारी मौसम में मांग बढ़ जाएगी, पूरी हद तक सही नही है।
'बैंकों के पास पैसा है लेकिन लोग लोन नहीं ले रहे'
बैंकर सुनील पंत के अनुसार देखिए इस समय समस्या नकदी की नहीं है। बैंकों के पास पैसा है लेकिन लोग लोन लेने नहीं आ रहे हैं। साथ ही पिछले तीन-चार साल में जिस तरह सीबीआई और ईडी की बैंकर्स पर कार्रवाई बढ़ी है। उससे बैंकर्स ने लोन देने में सख्ती कर दी है। इसी का असर है कि बैंक कर्ज देने में काफी सतर्कता भरा रवैया अपना रहे हैं। ऐसे में लोन मेलने से कर्ज की रफ्तार बढ़ जाएगी। कहना मुश्किल है।
'बड़ी कंपनियों ने रोक रखी ईएमआई की पेमेंट'
फिसमे के जनरल सेक्रेटरी अनिल भारद्वाज के अनुसार समस्या कर्ज की नहीं मांग की है। बड़ी कंपनियों ने एसएमई की पेमेंट रोक रखी है। ऐसे में कारोबारी नए कर्ज लेकर क्या करेंगे। जब तक डिमांड नहीं बढ़ेगी और अटका हुई पूंजी कारोबारियों को वापस नहीं मिलेगी, उस वक्त तक इकोनॉमी का रफ्तार पकड़ना मुश्किल है।