टेक्नोलॉजी में आए दिन नए-नए बदलाव देखने को मिलते हैं। ऑटो सेक्टर भी इस टेक्नोलॉजी से अछूता नहीं रहा है। कारों को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए ऑटो कंपनियां इनमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रही हैं।
हाल ही में दुनिया का दिग्ग्ज ऑटो कंपनियों में से एक हुंडई मोटर्स ने भी अपनी कार में सेफ्टी फीचर्स के तौर पर फिंगरप्रिंट स्कैनर पेश किया है जिससे कार का ड्राइवर फिंगरप्रिंट से कार को अनलॉक और स्टार्ट कर सकेगा। इस सिस्टम को हुंडई ने अपनी पॉपुलर ‘एसयूवी सेंटा फे’ में पेश किया है जिसे नए साल की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा।
इस कार के डोर हैंडल और इग्निशन बटन में फिंगरप्रिंट स्कैनर लगे हुए हैं। इससे कार का ड्राइवर अपने फिंगर प्रिंट से कार को अनलॉक और स्टार्ट कर सकेगा। कार के डोर हैंडल और इग्निशन बटन में हुंडई ने फिंगरप्रिंट स्कैनर लगाया है।
इस फीचर में खास बात ये है कि जैसे फोन में आप एक से ज्यादा उंगलियां फिंगर प्रिंट के तौर पर सेव कर सकते हैं ठीक उसी तरह एक से ज्यादा यूजर्स भी कार का इस्तेमाल करने के लिए खुद के फिंगर प्रिंट रजिस्टर कर सकते हैं। जैसे ही यूजर कार को अनलॉक करेगा, फिंगरप्रिंट स्कैनर डेटा को कार में भेजेगा। कार यूजर को पहचान कर गाड़ी की सेटिंग के अलावा कार की सीट पोजिशन और रियर व्यू मिरर को यूजर के हिसाब से सेट कर देगी।
कंपनी के अनुसार भविष्य में आने वाले अपडेट से यह भी हो सकता है कि बायोमेट्रिक सिस्टम लोगों के अनुसार कार का तापमान और स्टेयरिंग की सेटिंग भी कर सके। इस बायोमेट्रिक सिस्टम का एरर रेट 50,000 में से एक बार का होगा। इसके अलावा इसमें रियर ऑक्यूपेंट अलर्ट सिस्टम दिया गया है जो बच्चों के मूवमेंट को डिटेक्ट करता है।
हालांकि कार का इस्तेमाल करने के लिए एक से ज्यादा यूजर्स भी इसमें रजिस्टर्ड हो सकते हैं। जैसे ही यूजर कार को अनलॉक करेगा, फिंगरप्रिंट स्कैनर डेटा को कार में भेजेंगे। कार यूजर को पहचान कर गाड़ी की सेटिंग के अलावा कार की सीट पोजिशन और रियर व्यू मिरर को यूजर के हिसाब से सेट कर देगी। साथ ही, कंपनी कार के स्टीयरिंग व्हील पर टेंपरेचर और ह्यूमिडिटी सेटिंग भी देने पर विचार कर रही है।
जानें कैसे काम करेगी यह तकनीक
- फिंगरप्रिंट स्कैनर यूजर की उंगली पर बनी यूनिक रिज और वैली का विश्लेषण करेगा।
- स्कैनर इसके लिए मानव क्षमता का भी इस्तेमाल करता है जो यूजर के फिंगरप्रिंट से बनी विद्युत धाराओं को उठाते हैं ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि आपका प्रिंट कैसा दिखता है।
- यह सब स्कैनर में लगे कई तरह के सेंसर से संभव होता है जो सेमीकंडक्टर चिप से बने होते हैं।
- फिंगर प्रिंट का डेटा लेने के बाद यह डिवाइस में पहले से मौजूद सैंपल से कम्पेयर करता है जो इसमें रजिस्टर्ड किए गए हैं।