भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि सरकार मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति को लेकर सचेत है। उन्होंने यह भी कहा कि यह केंद्र पर निर्भर है कि वह कीमतों में वृद्धि को काबू में लाने के लिए आपूर्ति व्यवस्था में और सुधार करे।
दास ने केंद्रीय बैंक के मुख्यालय में आयोजित संवादाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि सरकार मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति को लेकर सर्तक है और अब सरकार को आगे आपूर्ति-पक्ष से जुड़े उन उपायों पर निर्णय लेना है.... जिन्हें वे आवश्यक समझते हैं।’’
दास की तरफ से यह बयान आरबीआई के चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को एक प्रतिशत बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत करने के बाद आया है। इससे पहले यह अनुमान 5.7 प्रतिशत पर था।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले महीने ईंधन पर उत्पाद शुल्क में 9.5 रुपये लीटर की कटौती की थी। इससे आम लोगों को राहत मिलने के साथ कच्चे माल की लागत कम हुई। इसके अलावा गेहूं और चीनी जैसे खाद्य पदार्थों के निर्यात पर पाबंदी या उसे कम करने के भी उपाए किए।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सटीक उपाय क्या हो सकते हैं, इस पर विचार या टिप्पणी करना उनका काम नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इस पर निर्णय लेना सरकार पर निर्भर करता है और मुझे भरोसा है कि वह निर्णय लेंगे। जब भी जरुरत होगी सरकार कदम उठाएगी।’’
इससे पहले, दास ने मौद्रिक नीति समिति के निर्णय की जानकारी देते हुए राज्य सरकारों की तरफ से लगाये जाने वाले वैट में कटौती की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि केंद्र के उत्पाद शुल्क में कटौती से शहरी महंगाई को लेकर दबाव कम होने की उम्मीद है।
गवर्नर ने कहा, ‘‘देश भर में पेट्रोल और डीजल पर राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) में और कमी निश्चित रूप से मुद्रास्फीति के साथ-साथ अपेक्षाओं के दबाव को कम करने में मदद कर सकता है।’’
उन्होंने कहा सरकार और आरबीआई के बीच हर मुद्दे को लेकर लगातार संवाद होता है और इसमें क्रिप्टोकरेंसी जैसे मुद्दे भी शामिल है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्त वर्ष के अंत तक डिजिटल मुद्रा की शुरुआत के साथ सरकार की घोषणा को लागू करेगा।