अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कंपनियों के लिए इनकम टैक्स की दर में कटौती के भारत के हालिया फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि इसका निवेश पर सकारात्मक प्रभाव होगा। हालांकि ने यह भी कहा कि वित्तीय स्थिति में लंबी अवधि के लिए स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए। आईएमएफ के डायरेक्टर (एशिया एंड पैसिफिक डिपार्टमेंट), चेंगयॉन्ग री ने कहा, ‘मौद्रिक नीति में प्रोत्साहन और कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से निवेश को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।" उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.1% रहने की उम्मीद है। 2020 में यह 7% तक पहुंच सकती है।
नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल सेक्टर की समस्याओं का करना चाहिए समाधान
आईएमएफ की डिप्टी डायरेक्टर (एशिया एंड पैसिफिक डिपार्टमेंट), एन्ने-मैरी गुल्डे-वॉफ ने कहा कि भारत को नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) सेक्टर की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। हालांकि, सरकारी बैंकों को पूंजी मुहैया करवाने जैसे प्रयासों से बैंकिंग सेक्टर में सुधारों की प्रक्रिया जारी है।
पिछले महीने सरकार ने किया था ये ऐलान
पिछले महीने केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट जगत को बड़ी राहत देने का ऐलान किया था। कंपनियों के लिए इनकम टैक्स की दर लगभग 10 फीसदी घटा दी गई है। अब उनके लिए मौजूदा वित्त वर्ष से टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फीसदी हो गई है। नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 17.01 फीसदी प्रभावी टैक्स दर की नई व्यवस्था शुरू की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गोवा मे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी थी। नई टैक्स दरें अप्रैल 2019 से लागू की गई हैं। इसके लिए अध्यादेश जारी कर फाइनेंस बिल में संशोधन किया गया है। ये कदम विकास दर छह साल के निचले स्तर पर चले जाने के बाद उठाए गए हैं। इनसे कंपनियों द्वारा नया निवेश करने और लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
टैक्स की दर 30 फीसदी से घटकर 22 फीसदी हुई
वित्त मंत्री ने कहा था कि जो कंपनियां किसी तरह की छूट या इन्सेंटिव हासिल नहीं करेंगी, उनके लिए टैक्स की दर 22 फीसदी होगी। सरचार्ज और सेस के साथ प्रभावी दर 25.17 फीसदी होगी। अभी तक इनके लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी थी। सरचार्ज और सेस समेत यह 34.94 फीसदी बैठती थी। 1991 में उदारीकरण की शुरुआत के बाद यह एक बार में सबसे बड़ी टैक्स कटौती है।