केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि वह सरकारी कंपनियों की चार लाख करोड़ रुपये की डिमांड में से 96 फीसदी वापस लेने को तैयार है। सरकार ने इन कंपनियों से एडजस्टड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के बकाए की वसूली के लिए चार लाख रुपये की डिमांड जारी की थी।
सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच के सामने केंद्र सरकार की ओर से पेश होकर सरकार के फैसले की जानकारी दी। सरकारी कंपनियों से चार लाख करोड़ रुपये की वसूली के लिए नोटिस जारी किए जाने का आधार बताने के लिए मेहता ने कोर्ट में हलफनामा भी पेश किया।
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी कंपनियां टेलीकॉम सर्विस के कारोबार में नहीं हैं। पिछले सप्ताह कोर्ट ने दूरसंचार विभाग से इस बात पर नाराजगी जताई थी कि उसने पिछले साल के फैसले का सहारा लेकर चार लाख रुपये की मांग पीएसयू को जारी दी। अदालत ने इसके लिए संबंधित अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी थी। कोर्ट ने कहा कि पीएसयू से एजीआर वसूली पर उसके आदेश में कुछ भी नहीं कहा गया था। यह डिमांड तुरंत वापस ली जानी चाहिए
पीएसयू से डिमांड किए जाने पर मेहता ने तर्क दिया कि वे भी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करते हैं। बेंच ने उनसे सवाल किया कि सरकार ने उसके एजीआर संबंधी फैसले के आधार पर विभिन्न पीएसयू से डिमांड का फॉर्मूला कैसे तैयार किया, जब अदालत ने फैसले में इसके बारे में कुछ भी नहीं उल्लेख नहीं किया।
वोडाफोन ने कहा- परिचालन जारी रखना भी कठिन
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एजीआर बकाए का भुगतान न किए जाने पर वोडाफोन आइडिया ने कहा कि कंपनी का परिचालन जारी रखना भी उसके बहुत कठिन है। कंपनी के असेट की कीमत पूछे जाने पर कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम किसी तरह से अपना परिचालन जारी रखने का प्रयास कर रहे हैं। कंपनी की वित्तीय स्थिति बताने के लिए सभी संबंधित कागजात अदालत में पेश किए जा सकते हैं।