स्वामी ने ट्वीट किया, हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यदि कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाते हैं तो इससे आर्थिक संकट की स्थिति पैदा होगी। अमेरिकी बेंचमार्क वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट 47 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा है जबकि ब्रेंट 49 डॉलर प्रति बैरल पर है। पिछले साल के दौरान कच्चे तेल की कीमतों गिरावट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद मिली है। भारत को अपने आयात बिल में कमी लाने तथा मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में मदद मिली है।
भारत कच्चे तेल की 80 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरा करता है। कच्चे तेल के दाम में एक डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि का मतलब है कि भारत को हर साल 1.36 अरब डालर या 9,126 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे। स्वामी ने अपने फालोअर्स से पूछा कि क्या कोई कच्चे तेल के बारे में भविष्यवाणी कर सकता है। दिसंबर तक इसका मूल्य क्या होगा। भारत ने 2015-16 में कच्चे तेल के आयात पर 63.96 अरब डॉलर खर्च किए। यह इससे पिछले वित्त वर्ष में खर्च की गई 112.7 अरब डॉलर की राशि का आधा है। 2013-14 में देश का कच्चे तेल के आयात पर खर्च 143 अरब डॉलर था। चालू वित्त वर्ष में 48 डॉलर प्रति बैरल के औसत आयात मूल्य के हिसाब से आयात बिल 66 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।
एजेंसी