वर्ष 2015 की तीसरी तिमाही में सोने की मांग 271.1 टन रही थी। डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक, भारत सोमसुंदरम पीआर ने पीटीआई भाषा से कहा कि 2015 की तीसरी तिमाही में सोने की मांग उच्चतम स्तर पर थी क्योंकि सोने का दाम घटकर 25,586 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गया था। मूल्य के हिसाब से जुलाई-सितंबर की तिमाही में सोने की मांग 12 प्रतिशत घटकर 55,970 करोड़ रुपये पर आ गई, जो एक साल पहले समान तिमाही में 63,660 करोड़ रुपये थी।
हालांकि, कुल मिलाकर ग्रामीण आबादी में मांग उम्मीद से कम रही, लेकिन इस साल मानसूनी बारिश बेहतर रहने की वजह से शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में मांग अधिक कमजोर नहीं पड़ी। सोमसुंदरम ने कहा कि सोने की मांग में कमी की एक वजह से निश्चित रूप से ऊंची कीमत रही। इसके अलावा अन्य कारकों से भी मांग प्रभावित हुई। मसलन उत्पाद शुल्क लागू होने के बाद सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल, दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर पैन की अनिवार्यता और आय खुलासा योजना जारी रहने के दौरान सोने की खरीद को लेकर कमजोर धारणा से भी मांग प्रभावित हुई।
उन्होंने कहा कि बेहतर मांग तथा दिवाली से पहले कीमतों में गिरावट चौथी तिमाही की मांग की दृष्टि से अच्छी है। इससे सोने की मांग सामान्य स्तर पर आने की उम्मीद है।
सोमसुंदरम ने कहा कि पूरे साल के दौरान देश में सोने की मांग 650 से 750 टन रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर तीसरी तिमाही में आभूषणों की मांग 28 प्रतिशत घटकर 154.7 टन पर आ गई, जो 2015 की तीसरी तिमाही में 214.1 टन रही थी। मूल्य के हिसाब से आभूषणों की मांग 12 प्रतिशत घटकर 44,450 करोड़ रुपये पर आ गई, जो एक साल पहले समान तिमाही में 50,270 करोड़ रुपये रही थी। हालांकि, चौथी तिमाही में आभूषणों की मांग में सुधार की उम्मीद है।
इस बीच, तीसरी तिमाही में निवेश के लिए कुल मांग 30 प्रतिशत घटकर 40.1 टन रह गई, जो पिछले साल समान अवधि में 57 टन रही थी। मूल्य के हिसाब से निवेश के लिए सोने की मांग 14 प्रतिशत घटकर 11,520 करोड़ रुपये रह गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 13,390 करोड़ रुपये रही थी। तीसरी तिमाही में देश में सोने की रिसाइक्लिंग 114 प्रतिशत बढ़कर 39 टन रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 18.2 टन रही थी।
भाषा