चालू वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत की विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हो गई। जबकि जून तिमाही में भारत की विकास दर 8.2 फीसदी रही थी। इस हिसाब से इसमें 1.1 फीसदी की कमी देखने को मिली है। वहीं, दूसरी तिमाही में जीवीए की दर भी घटकर 6.9 फीसदी हो गई। पिछली तिमाही में जीवीए की दर 8 फीसदी थी।
माना जा रहा है कि जीडीपी में यह कमी दो मुख्य कारणों से आई है। पहला डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार कमजोर होना और दूसरा आईएलएंडएफएस में नकदी संकट, जिसकी वजह से निवेश पर असर देखने को मिला।
किस सेक्टर में कितनी ग्रोथ
मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 13.5% से घटकर 7.4%
माइनिंग की ग्रोथ 0.1% से घटकर -2.4%
इलेक्ट्रिसिटी ग्रोथ 7.3% से बढ़कर 9.2%
कंस्ट्रक्शन ग्रोथ 8.7% घटकर 7.8%
एग्रीकल्चर ग्रोथ 5.3% से घटकर 3.8%
ट्रेड, होटल एंड ट्रांसपोर्ट ग्रोथ 6.7% से बढ़कर 6.8%
पब्लिक एडमिन, डिफेंस ग्रोथ 9.9% से बढ़कर 10.9%
फाइनेंशियल, रीयल एस्टेट ग्रोथ 6.5% से घटकर 6.3%
एक्सपोर्ट ग्रोथ 12.7% से बढ़कर 13.4% रहा
जीडीपी आंकड़ों पर राजनीति जारी
इन दिनों जीडीपी के आंकड़ों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बहस छिड़ी है। दरअसल, बुधवार को केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) की ओर से जीडीपी बैक सीरीज डाटा जारी किए जाने के बाद यूपीए कार्यकाल के सभी ग्रोथ रेट आंकड़े घट गए हैं। इसी के साथ ही इस पर बहस भी शुरू हो गई है। विपक्ष का कहना है कि चुनावों से ठीक पहले इन आंकड़ों को जारी किया जाना मोदी सरकार की एक सोची-समझी रणनीति है। जबकि सरकार का कहना है कि CSO का कामकाज वित्त मंत्रालय के अधीन नहीं है, उसकी अपनी साख है।