भारतीय जीवन बीमा (एलआइसी) बोर्ड ने सोमवार को आइडीबीआइ बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी। यह जानकारी आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने दी। उन्होने बताया कि कर्ज से लदा बैंक पूंजी जुटाने के लिए अपने अधिमान्य (प्रेफरेंशियल) शेयर एलआइसी को देगा। गर्ग ने कहा कि बैंक को पूंजी की जरूरत है और अधिमान्य (प्रेफरेंशियल) शेयर देना सबसे अच्छा रास्ता हो सकता है। गर्ग एलआइसी बोर्ड के सदस्य भी हैं।
एलआइसी इसके लिए अब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मंजूरी लेगी। बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) पहले ही कंपनी को इस हिस्सेदारी के खरीद की मंजूरी दे चुका है। आइडीबीआइ बैंक को भी अपने बोर्ड से एलआइसी को हिस्सेदारी बेचने के लिए मंजूरी लेनी पड़ेगी। गर्ग ने यह भी संकेत दिया कि सेबी के नियमों के अनुसार ओपन ऑफर नहीं हो सकता है, क्योंकि बैंक में पब्लिक होल्डिंग बहुत सीमित है। उन्होंने कहा कि ओपन ऑफर आ भी सकता है और नहीं भी आ सकता है। बैंक में पब्लिक शेयर होल्डिग काफी कम है। यह करीब पांच फीसदी है। ऐसे में कीमत निर्धारण का फॉर्मूला आकर्षक नहीं होगा। उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं दि कि आइडीबीआइ अपनी हिस्सेदारी बेचने से कितनी राशि मिलेगी। उन्होंने कहा कि बैंक में पहले से ही एलआइसी की 7 से 7.5 फीसदी हिस्सेदारी है और अब एलआइसी बाकी हिस्सेदारी भी अधग्रहीत कर लेगा।
हालांकि सूत्रों का कहा है कि एलआइसी द्वारा हिस्सेदारी खरीदे जाने से बैंक को 10,000 से 13,000 करोड़ रुपये हासिल होंगे। इनके अनुसार 51 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर लेने के बाद एलआइसी बैंक के बोर्ड में अपने चार सदस्य नियुक्त करने योग्य हो जाएगा।